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1.
ज्यादातर परिवारों की गाढ़ी कमाई का एक बड़ा हिस्सा दवाओं पर खर्च हो जाता है। इससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। अब मरीजों के लिए दवाओं को और अधिक किफायती बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने प्रमुख दवा कंपनियों द्वारा बेची जाने वाली 35 आवश्यक दवाओं की खुदरा कीमतों में कमी की है। कीमतों में कटौती से उपभोक्ताओं खासकर पुरानी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। कम कीमत वाली दवाओं में सूजन-रोधी, हृदय रोग संबंधी, एंटीबायोटिक, मधुमेह-रोधी और मानसिक रोगों के इलाज वाली इलाज वाली दवाओं सहित कई तरह की दवाएं शामिल हैं।
2.
संसद के मानसून सत्र में चल रहे गतिरोध के बीच सरकार सोमवार को लोकसभा में एक महत्वपूर्ण खेल विधेयक को पारित कराने पर जोर दे सकती है। विपक्ष की एकजुट मांग के बावजूद बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) पर चर्चा के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। लोकसभा ने राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक को विचार एवं पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है, जिसमें खेल निकायों के कामकाज में अधिक पारदर्शिता की परिकल्पना की गई है। वहीं राज्यसभा ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन 13 अगस्त से छह महीने के लिए बढ़ाने संबंधी गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्ताव को पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है।
3.
वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी सोनाली मिश्रा 31 जुलाई को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की पहली महिला महानिदेशक बनीं। वह 1993 बैच की मध्य प्रदेश कैडर की भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) अधिकारी रही हैं। गौरतलब बात है कि इसी साल मई के महीने में भोपाल में राज्य स्तरीय महिला सशक्तीकरण महासम्मेलन में आयोजित किया गया था। इस मौके पर सुरक्षा की जिम्मेदारी महिला अफसरों के हाथ में सौंपी गई थी। कार्यक्रम में आइपीएस सोनाली मिश्रा को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया था, जिसको उन्होंने बखूबी निभाया था। सोनाली मिश्रा के नेतृत्व में छह से अधिक महिला आइपीएस अधिकारियों ने भोपाल में मुस्तैदी के साथ अपनी सेवाएं दी थीं।
4.
उत्तराखंड में यमुना से लेकर शारदा नदी तक दो टाइगर रिजर्व और 11 वन प्रभागों के 6643 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तार लिए हाथियों के बसेरे में इनकी गणना को कसरत शुरू हो गई है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से नवंबर में होने वाली हाथी गणना में इस बार ड्रोन व सेटेलाइट इमेजरी का उपयोग भी किया जा सकता है। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक आरके मिश्र के अनुसार गणना में कौन-कौन सी तकनीकी अपनाई जाएगी, इसे लेकर मंथन चल रहा है। जल्द ही, भारतीय वन्यजीव संस्थान के विज्ञानियों के साथ बैठक कर इस बारे में निर्णय लिया जाएगा। गणना में यह भी साफ होगा कि उत्तराखंड में हाथियों के कुनबे में इजाफा हुआ है या कमी आई है। यद्यपि, हाथी बहुल क्षेत्रों में जैसी स्थिति है, उसमें इनकी संख्या बढ़ने की संभावना है।
5.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से होने वाले आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ और रूस से कारोबार पर जुर्माने का एलान किया है। ट्रेड डील पर भारत और अमेरिका की लंबे समय से बात चल रही थी लेकिन समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। डोनाल्ड ट्रंप अपने कृषि और डेरी उत्पादों के लिए भारत के बाजार में पहुंच चाहते हैं। भारत के लिए यह रेड लाइन है। करोड़ों भारतीय आजीविका के लिए कृषि और डेरी सेक्टर पर निर्भर हैं। जाहिर है भारत इस पर समझौता नहीं कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि निश्चित रूप से यह हमारी अर्थव्यवस्था को नकारात्मक तौर पर प्रभावित करेगा लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आपदा को अवसर में तब्दील करने के लिए जाने जाते हैं। वहीं, भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू खपत पर निर्भर करती है न कि निर्यात पर। हमारी अर्थव्यवस्था और राजनीतिक परिदृश्य स्थिर है। ऐसे में हम इसका सामना बेहतर तरीके से कर सकते हैं।
6.
अमेरिका को भारतीय निर्यात एक बड़े दबाव का सामना करने वाले हैं। 31 जुलाई को अमेरिका ने 50 से ज्यादा देशों से आयात पर व्यापक नए टैरिफ लगाए हैं. जिनमें लगभग सभी भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क शामिल है। इसके अलावा रूस के साथ तेल व्यापार से जुड़ा एक अतिरिक्त जुर्माना भी शामिल है। 7 अगस्त से, ये शुल्क मौजूदा टैरिफ के ऊपर लागू होंगे, जिससे अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की कीमत काफी बढ़ जाएगी।
इस कदम के साथ, भारत अब एशियाई निर्यातकों में सबसे कड़े अमेरिकी टैरिफ व्यवस्थाओं में से एक का सामना कर रहा है। चीन के 30 प्रतिशत के बाद भारत 25 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है। वियतनाम (20 प्रतिशत), बांग्लादेश (18 प्रतिशत), इंडोनेशिया (19 प्रतिशत, जापान और दक्षिण कोरिया (15 प्रतिशत) जैसे प्रतिस्पर्धियों को काफी कम दरों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उन्हें भारतीय आपूर्तिकर्ताओं पर मूल्य निर्धारण में बढ़त मिल रही है।
7.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के प्रारंभ में ही अमेरिकी व्यापार नीति में बुनियादी बदलाव करते हुए वैश्विक राजनीति में उथल-पुथल ला दी है। अमेरिकी प्रशासन ने आर्थिक नीति में संरक्षणवाद और एकपक्षीयवाद को अपनाया, जिससे वैश्विक मुक्त व्यापार और बहुपक्षीय संस्थाओं के लिए दशकों से चली आ रही अमेरिकी नीति का अंत समझा जा सकता है। इस बदलाव के केंद्र में राष्ट्रपति ट्रंप की "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' की नीति है जिसके तहत सहयोगियों और विरोधियों, दोनों पर आक्रामक टैरिफ लगाए जा रहे हैं। द्विपक्षीय व्यापार में टैरिफ को एक आर्थिक उपकरण की तरफ इस्तेमाल करके ट्रंप दशकों से चली आ रही वैश्वीकरण तथा उदारीकरण की प्रक्रिया को ना सिर्फ कमजोर कर रहे हैं बल्कि उस विश्व व्यवस्था को पुनर्परिभाषित करने की कोशिश कर रहे है, जिसमे "ग्लोबल साउथ" के कुछ उभरते हुए देश पहले से स्थापित शक्तियों को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। ट्रंप इन देशों को नियंत्रित करना चाहते हैं। अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत पर लगाया गया टैरिफ केवल आर्थिक निर्णय नहीं है बल्कि इसके पीछे भू-राजनीतिक कारण भी है, जिसमे भारत के ब्रिक्स देशों के साथ व्यापारिक संबंध तथा रूस के साथ तेल तथा हथियार का व्यापार एक प्रमुख मुद्दा है। हाल के दशक में उदार अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और वैश्विक पुनर्गठन की चुनौतियों के बीच आर्थिक तथा सामरिक रूप से मजबूत हो रहे भारत के लिए इन नीतियों के दूरगामी परिणाम होंगे।
8.
जनतंत्र में जनता चुनावों के जरिये जनादेश देती है। इसलिए चुनाव जनतंत्र की आधारशिला है और चुनावों की विश्वसनीयता यह सुनिश्चित करने पर निर्भर करती है कि मतदान में वही लोग भाग लें जो उसकी अर्हता रखते हों। मतदाताओं की अर्हता लगभग हर लोकतांत्रिक देश में मतदाताओं की आयु, नागरिकता और जिस क्षेत्र का चुनाव हो रहा हो, वहां निवास के प्रमाण के आधार पर तय की जाती है और मतदाता सूचियां बनाई जाती हैं। पुनरीक्षण से इन्हें निरंतर अद्यतन रखने के मामले में आस्ट्रेलिया, कनाडा और जर्मनी को विश्व में आदर्श माना जाता है। आस्ट्रेलिया और कनाडा में मतदाता पंजीकरण और मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण का काम भारत के चुनाव आयोग की तरह केंद्रीय एजेंसियां करती हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में इसका दायित्व स्थानीय प्रशासन के पास है जो केंद्र सरकारों के निर्देशों के आधार पर उसे निभाते हैं। आस्ट्रेलिया और इटली में मतदान के लिए पंजीकरण कराना और मतदान करना अनिवार्य भी है।
9.
स्वस्थ रहना हमारी स्वाभाविक स्थिति होनी चाहिए, पर समकालीन परिवेश में अधिकांश लोगों के लिए यह संभव नहीं हो पा रहा है। शारीरिक रोगों को तो आसानी से पहचान लिया जाता है, परंतु मानसिक रोगों की पहचान और इलाज के लिए विशेष प्रशिक्षण और अध्ययन की आवश्यकता होती है। मनोचिकित्सा को विषय के रूप में मेडिकल कालेजों में साइकियाट्री के अंतर्गत स्खा जाता है। इसी से जुड़े विषय क्लिनिकल साइकोलाजी और काउंसिलिंग भी हैं, जो मनोविज्ञान विषय के अंग हैं। भारत में मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएं जनसंख्या की दृष्टि से बहुत कम और अपर्याप्त हैं। क्लिनिकल साइकोलाजी के अध्ययन की कुछ चुनिंदा संस्थाएं हैं, जहां जरूरी और प्रामाणिक प्रशिक्षण दिया जाता है। इस दृष्टि से एमए करने के बाद क्लिनिकल साइकोलाजी में एमफिल की एक प्रोफेशनल डिग्री का प्रविधान किया गया है। इसके अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य और उपचार के लिए छात्रों को गहन सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके द्वारा मानसिक रोगियों के उपचार के लिए प्रशिक्षुओं को थेरेपी देने के लिए योग्य बनाया जाता है। नई शिक्षा नीति में एमफिल की डिग्री को बंद करने का फैसला लिया गया है। इसके फलस्वरूप अन्य विषयों की तर्ज पर क्लिनिकल साइकोलोजी में भी एमफिल डिग्री को बंद करना होगा। इस एमफिल डिग्री की उपादेयता को अन्य विषयों में एमफिल के बराबर रख कर देखना घातक है। इसे बंद करने से मानसिक स्वास्थ्य की देख-रेख के लिए जो भी थोड़े बहुत मानव संसाधन तैयार हो रहे थे, वह क्रम रुक जाएगा। यह समाज के लिए बड़ा घातक होगा। सरकार इस पर पुनर्विचार करे।
10.
भारत में हर वर्ष लगभग 94 लाख छात्र उच्च शिक्षा में प्रवेश लेते हैं, लेकिन संसाधनों की कमी, सामाजिक बाधाओं या करियर को लेकर अनिश्चितता के कारण इनमें से अनेक डिग्री पूरी नहीं कर पाते। स्नातक स्तर पर ड्रापआउट दर 12.6 प्रतिशत है, जो कुछ विषयों जैसे इंजीनियरिंग (13.5 प्रतिशत), कृषि (14.3) और सामाजिक विज्ञान (15 प्रतिशत) में और भी अधिक है। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि यह दर ग्रामीण, आदिवासी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में अपेक्षाकृत अधिक है। लड़कियां विशेष रूप से प्रभावित होती हैं- बाल विवाह, घरेलू जिम्मेदारियां, सामाजिक मान्यताएं और सुरक्षा की चिंताएं उन्हें शिक्षा बीच में छोड़ने को मजबूर कर देती हैं।
11.
भारत के आर्थिक हितों को प्रभावित करने की चीन की कोशिशें रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। अमेरिका और यूरोपीय संघ की तरफ से आयातित स्टील पर शुल्क या दूसरे तरीकों से बाधा उत्पन्न करने से वैश्विक स्टील बाजार में भारी अस्थिरता फैली हुई है। ऐसे में चीन ने अपने विशाल स्टील उत्पादन को भारत में खपाने के लिए हर उपाय आजमा रहा है।
12.
विशेषज्ञों के अनुसार, निकट भविष्य में आर्थिक वृद्धि के लिए चुनौतियों के बावजूद आरबीआइ बुधवार को अपनी आगामी द्विमासिक मौद्रिक नीति में रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रख सकता है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक दरों में एक और दौर की कटौती कर सकता है, क्योंकि विकास के दृष्टिकोण के लिए चुनौतियां संभावित मुद्रास्फीति जोखिमों से अधिक हैं। केंद्रीय बैंक पहले पहले ही रेपो रेट में लगातार तीन बार (कुल 100 आधार अंक) कटौती कर चुका है। आरबीआइ गवर्नर संजय मल्होत्रा, छह सदस्यीय दर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अध्यक्षता करते हुए बुधवार (छह अगस्त) को अगली द्विमासिक नीति दर की घोषणा करने वाले हैं। एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक सोमवार से शुरू होगी
13.
समुद्री बकथार्न और लाख के ठंडे रेगिस्तान में उगाए गए कुट्टू के बीज नासा के क्रू-11 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) पर किए जा रहे प्रयोगों का हिस्सा हैं। पांच महाद्वीपों के 11 देशों से प्राप्त बीज अमेरिका स्थित जैव-अंतरिक्ष कंपनी जगुआर स्पेस द्वारा संचालित अध्ययन का हिस्सा हैं, जो बीजों को एक सप्ताह के लिए माइक्रोग्रैविटी की स्थिति में रखने की योजना बना रही है।
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