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1.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी धमकी पर अमल करते हुए बुधवार को भारतीय वस्तुओं के अमेरिका में प्रवेश पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया। ट्रंप के आदेश में कहा गया है कि रूस से भारत प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से तेल खरीद रहा है। इसलिए भारत पर यह अतिरिक्त शुल्क लगाया जा रहा है जो इस आदेश के 21 दिनों के बाद प्रभावी होगा। भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत का शुल्क लगाने की घोषणा ट्रंप पहले ही कर चुके हैं जो सात अगस्त से प्रभावी हो जाएगा। जबकि ताजा घोषणा के बाद 27 अगस्त से भारत से अमेरिका निर्यात होने वाली वस्तुओं पर 50 प्रतिशत शुल्क लगेगा।
2.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को डेड इकोनमी बताए जाने पर आरबीआइ गवर्नर संजय मल्होत्रा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करने के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था बहुत ही अच्छी स्थिति में है और दुनिया के विकास में इसका योगदान अमेरिका से ज्यादा है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद जारी रिपोर्ट में वर्ष 2025-26 में भारत की आर्थिक विकास दर के 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो इस साल दुनिया की औसत विकास दर के अनुमान (तीन प्रतिशत) से दोगुनी है। मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों ने रेपो रेट को मौजूदा स्तर यानी 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
3.
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में प्रकाशित हुई प्रारूप मतदाता सूची से 65 लाख लोगों के नाम हटाए जाने पर चुनाव आयोग को हलफनामा दाखिल करने को कहा है। बुधवार को याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन एडीआर की और इन मतदाताओं के बारे में चुनाव आयोग द्वारा कोई विवरण उपलब्ध नहीं कराए जाने का आरोप लगाया गया। अदालत से चुनाव आयोग को विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की गई। कोर्ट ने इस पर आयोग को शनिवार तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले पर 12 अगस्त को सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि वह देखेगा कि प्रभावित होने वाले प्रत्येक मतदाता को जरूरी जानकारी प्राप्त हो। एडीआर ने एक ताजा अर्जी दाखिल कर मांग की है कि चुनाव आयोग प्रारूप मतदाता सूची से हटाए गए मतदाताओं का नाम और पूरा विवरण दे, जिन्होंने गणना फार्म नहीं भरे थे। साथ में कारण बताए कि इन लोगों की मृत्यु हो गई है या ये स्थायी रूप से दूसरी जगह चले गए हैं या डुप्लीकेट हैं या उनका पता नहीं चला है।
4.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत के खिलाफ लगातार दिए जा रहे बयानों और भारतीय आयात पर शुल्क बढ़ाने के परिणामस्वरूप अमेरिका से कड़वाहट के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस महीने के अंत में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन की यात्रा पर जाएंगे। सरकार की तरफ से जल्द ही इस यात्रा की आधिकारिक घोषणा की जाएगी। ट्रंप की शुल्क नीति से उपजी स्थिति के मद्देनजर उनकी आगामी यात्रा बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि 2018 के बाद वह पहली बार चीन जाएंगे। वर्ष 2020 में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र (गलवन घाटी) में चीनी सैनिकों की घुसपैठ पर संघर्ष के बाद भारत और चीन के रिश्ते काफी खराब हो गए थे। पिछले वर्ष कजान (रूस) में मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई मुलाकात के बाद रिश्तों में सुधार आ रहा है। बहरहाल, चीन के साथ-साथ मोदी के जापान जाने की भी संभावना है। विदेश मंत्रालय के उच्चाधिकारियों ने हाल ही में चीन एवं जापान दोनों देशों की यात्रा की है।
5.
आज विश्व के कई देश बच्चों को डिजिटल लत से बचाने के लिए कठोर कदम उठा रहे हैं। हाल ही में आस्ट्रेलियाई सरकार ने घोषणा की है कि दिसंबर 2025 से यूट्यूब उन इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म्स में शामिल होगा, जिन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके यूजर्स की उम्र कम से कम 16 वर्ष हो। इससे पहले नवंबर 2024 में आस्ट्रेलिया ने दुनिया का पहला ऐसा कानून पारित किया था, जो 16 साल से कम उम्र के बच्चों को फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, टिकटाक और एक्स जैसे प्लेटफार्म्स के उपयोग से प्रतिबंधित करता है। यह कदम वैश्विक चिंता को रेखांकित करता है कि इंटरनेट मीडिया और डिजिटल स्क्रीन की लत बच्चों के विकास के लिए संकट बन चुकी है।
6.
ट्स वर्ष के आरंभ में अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप अपने निर्णयों से निरंतर समूची विश्व व्यवस्था को व्यापक रूप से प्रभावित करते रहे हैं। भारत भी इसके दुष्प्रभाव से बच नहीं पाएगा। हाल ही में ट्रंप द्वारा टैरिफ में वृद्धि किए जाने से विश्व के अनेक देश नए सिरे से अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत अभियान कोई तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं है, अपितु यह एक दीर्घकालिक रणनीतिक सिद्धांत है जिसे स्वतंत्रता के बाद से चले आ रहे प्रणालीगत खामियों को दूर करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था। यह अभियान केवल आर्थिक परिवर्तन तक सीमित नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और भू-राजनीतिक तथ्यों का भी व्यापक दृष्टिकोण है। वैश्विक अनिश्चितता के समय में यही मानसिक आत्मबल सबसे पहली सुरक्षा होती है।
7.
उत्तराखंड से आपदा की ऐसी तस्वीर फिर सामने आई है, जहां अचानक कुछ ही सेकंड के भीतर हालात ऐसे बदल जाएंगे, यह मालूम नहीं था। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि चंद सेकंड और इतना भयावह दृश्य सामने प्रस्तुत हो जाएगा। लेकिन क्या सब दोष प्रकृति का ही है? क्या प्रकृति ने हमें छला या हम उससे अधिक चतुर बन रहे थे। बहुत से सवाल उठे हैं। कारण बताया गया कि बादल फट गया। सामान्यतया बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदा पर किसी का बस नहीं है। लेकिन विचारणीय प्रश्न यह है कि बादल क्यों फटा ? इतनी डीजल पेट्रोल की गाड़ियां पहाड़ों की सुरम्य वादियों में लगातार दौड़ रही हैं, निरंतर पेड़ों की बलि ली जा रही है, प्रकृति को संरक्षित करने वाले वृक्ष लगाने की गति इतनी धीमी है, क्या इन बातों पर किसी का ध्यान नहीं गया ? बिल्कुल गया होगा, लेकिन इसकी उपेक्षा हुई है और प्रकृति ने अपना स्थान व रूप वापस मांगने के लिए रौद्र रूप दिखा दिया।
8.
मृत व्यक्ति के बैंक खाते में जमा राशि या बैंक लाकर में रखे सामान को उनके रिश्तेदार को देने की प्रक्रिया को अब और सरल बनाया जाएगा। इस प्रकार के दावों को निपटाने के लिए सभी बैंकों में एक समान नियम होगा। आरबीआइ गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को कहा कि मृत व्यक्ति के बैंक खाते से पैसे और उनके लाकर से सामान के निस्तारण को लेकर एक स्तरीय प्रक्रिया अपनाई जाएगी ताकि मृत व्यक्ति के बच्चे या उनके रिश्तेदार उसे आसानी से हासिल कर सकें। जानकारों का कहना है कि आरबीआइ सभी बैंकों के लिए एक जैसे नियम बनाने के लिए मसौदा जारी करेगा और फिर हितधारकों से सलाह के बाद अंतिम नियम तैयार होंगे।
9.
सरकार ने बुधवार बुधवार को संसद में बताया कि उसने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) व औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) के लिए 2022-23 को नया आधार वर्ष और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) के लिए 2024 को प्रस्तावित किया है।
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