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News Highlights provides you with the best compilation of the Daily News Highlights taking place across the globe: National, International, Sports, Science and Technology, Banking, Economy, Agreement, Appointments, Ranks, and Report and General Studies
1.
भारत के दो पूर्व प्रधान न्यायाधीशों जेएस खेहर व डीवाई चंद्रचूड़ ने एक देश एक चुनाव को संवैधानिक बताते हुए प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयक के कुछ प्रविधानों पर चिंता जताई है। प्रस्तावित विधेयक में आयोग को दी गई शक्तियों पर उनका कहना है कि व्यापक छूट देना ठीक नहीं है। रंजन गोगोई और चंद्रचूड़ के बाद खेहर तीसरे पूर्व प्रधान न्यायाधीश हैं, जिन्होंने विधेयक की धारा 82ए (5) (5) के तहत चुनाव आयोग को विधानसभा चुनाव कराने के संबंध में दी गई छूट पर सवाल उठाया है। खेहर व चंद्रचूड़ शुक्रवार को संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए। चंद्रचूड़ अपनी लिखित राय पहले ही दे चुके थे।
2.
विरोध प्रदर्शनों से आम जनता को होने वाली परेशानियों पर मद्रास हाई कोर्ट ने राजनीतिक दलों को नसीहत देने वाला अहम फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शन मनोरंजन के लिए नहीं होते। विरोध प्रदर्शन राजनीतिक दलों की इच्छा और मनमर्जी के मुताबिक नहीं हो सकते। राजनीतिक दलों की आम जनता के प्रति भी कुछ जिम्मेदारियां होती हैं जो उनके विरोध प्रदर्शनों से परेशान होती है। प्रदर्शन के अधिकार से आम जनता का अधिकार बाधित नहीं होना चाहिए जो उन प्रदर्शनों से संबद्ध नहीं हैं। कोर्ट ने यहां तक कहा कि प्रदर्शन के अधिकार में जनता को असुविधा देने का अधिकार शामिल नहीं है।
3.
उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र अब अपनी पढ़ाई को बीच में कभी भी छोड़ और शुरू कर सकेंगे। हालांकि, इसके लिए उन्हें कम से कम एक वर्ष की पढ़ाई पूरी करनी होगी। इस दौरान उन्हें स्नातक पाठ्यक्रमों में एक वर्ष की पढ़ाई पर सर्टिफिकेट दिया जाएगा जबकि दो वर्ष की पढ़ाई पर डिप्लोमा, तीन वर्ष की पढ़ाई पूरा करने पर डिग्री और चार वर्ष की पढ़ाई पूरा करने पर आनर्स की डिग्री मिलेगी। इतना ही नहीं, छात्र अपनी बीच में छोड़ी गई पढ़ाई को आजीवन कभी भी पूरा कर सकेंगे। पूर्व में की गई उनकी पढ़ाई के क्रेडिट अंक उनके एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट (एबीसी) में जमा रहेंगे।
4.
आलोचना करना, सरकार की नीतियों का विरोध करना या सामाजिक आंदोलनों में भाग लेना आतंकवाद नहीं माना जाएगा। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की नई धारा 113 को लेकर शासन ने स्पष्ट निर्देश जारी कर यह सुनिश्चित किया है कि लोकतांत्रिक अधिकारों की आड़ में कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। यह व्यवस्था ऐसे वक्त में दी गई है, जब इस धारा को लेकर संशय था कि कहीं यह व्यापक अधिकारों के दमन का उपकरण न बन जाए। शासन के निर्देश से तस्वीर साफ हो गई है कि धारा 113 सिर्फ उन्हीं लोगों पर लागू होगी, जिनकी गतिविधियां वाकई में देश की एकता, संप्रभुता और सुरक्षा के विरुद्ध होंगी।
5.
मैट्रोलोजी कानून यानी 'बिधिक माप-विज्ञान अधिनियम' का मूल उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा है, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि सामान का वजन और माप सही हो। यह कानून सुनिश्चित करता है कि जब आप कुछ खरीदते हैं तो आपको उतनी ही मात्रा या माप की वस्तु मिले, जितनी पैकेट पर लिखी हुई है। प्री-पैक्ड वस्तुओं की लेबलिंग के मामले भी इसी के अंतर्गत आते हैं। जैसे प्रोडक्ट का नाम, वजन और निर्माता की जानकारी आदि। इस कानून के तहत ऐसे व्यवसाय, जो वजन और माप संबंधी उपकरण बनाते, बेचते, आयात या मरम्मत करते हैं, उन्हें लाइसेंस प्राप्त करना भी अनिवार्य है। भले ही किसी व्यवसाय का गलत इरादा न हो, पर यह कानून व्यवसायों पर बड़ा बोझ डालता है। हमने इस संदर्भ में कुछ चुनौतियों और उनके समाधान प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
6.
आज जबकि विज्ञान ने हमें अति उन्नत प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष यात्रा, बायो इंजीनियरिंग और एआइ जैसे क्षेत्रों में पहुंचा दिया है, वहीं दूसरी तरफ समाज का एक बड़ा तबका अभी भी नींबू मिर्ची, पुनर्जन्म और भूत-प्रेत जैसी बातों में यकीन करता है। यह विसंगति केवल अशिक्षित वर्ग में ही नहीं है। इसकी जड़ें हमारी सामाजिक संरचना में छिपी हैं, जहां वैज्ञानिक नजरिए को पर्याप्त तवज्जो नहीं दिया जाता। आजादी के बाद वैज्ञानिक नजरिए को बढ़ावा देने के लिए कई संस्थान और योजनाएं बनीं, किंतु वे समाज के सोच को बदलने में असफल रहीं। जिन तबकों को शिक्षा और समृद्धि नहीं मिली, वे चमत्कारों की आशा में अंधविश्वासों में चिपके रहे। और जिनमें समृद्धि आई, वे उसे खोने के डर से इन्हीं कुरीतियों का अनुसरण करते रहे।
7.
लोकतांत्रिक प्रक्रिया की कामयाबी की पहली शर्त होती है कि चुनाव पूरी तरह से स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी हो। चुनावी प्रकिया का संचालन इस तरह से किया जाए, जिसमें किसी के साथ भी किसी भी तरह का भेदभाव न हो। भारत के संविधान में आम लोगों के मताधिकार की गारंटी के साथ-साथ स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने का दायित्व चुनाव आयोग को सौंपा गया है। इस बीच आयोग द्वारा चलाए जा रहे अभियान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने चुनाव आयोग को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लंबी सुनवाई करने और दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए जरूरी मान्य दस्तावेजों में आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आइडी कार्ड को भी शामिल करने पर विचार करे। सर्वोच्च अदालत ने चुनाव आयोग से कई अहम मुद्दों पर जवाब दाखिल करने को भी कहा है।
8.
हाल संगठन ग्रीन पीस के कार्यकर्ताओं ने अनोखा प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में "गहरे समुद्र को बचाव" बैनर प्रमुख था। इसके मूल में समुद्र की गहराई में उपस्थित पारिस्थितिकी तंत्र को खनन से हो रहे खतरे के प्रति वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित करना था। प्रदर्शनकारी इस खनन से समुद्र को बचाने और इसके संरक्षण की मांग कर रहे थे। इसी प्रकार का एक महत्वपूर्ण समाचार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सामने आया। जिसमें दिल्ली की मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इसमें उनसे यमुना क्षेत्र में अवैध रेत खनन रोकने के लिए मिलकर काम करने की अपील है। उन्होंने कहा है कि अवैध खनन गंभीर पारिस्थितिकी क्षति का कारण बन रहा है। दिल्ली के अधिकारी उत्तर प्रदेश के संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों से इसे लेकर पत्र व्यवहार कर रहे हैं। अवैध कर पाने वाले कदी के प्राकृतिक प्रवाह को मोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इससे अपूरणीय पारिस्थितिकी क्षति हो रही है। यहां दिलचस्प यह भी है कि इस मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण और हाई कोर्ट पहले भी चिंता व्यक्त करते हुए आदेश दे चुके हैं, फिर भी दिल्ली के साथ लगते उत्तर प्रदेश की सीमा में यमुना में अवैध रेत खनन जारी है।
9.
देश में कपास की गिरती उत्पादकता, कीटों का बढ़ता प्रकोप और खेती की लागत बढ़ने जैसी समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने मोर्चा संभाला है। कोयंबटूर में शुक्रवार को किसानों, विज्ञानियों और उद्योग प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाया गया। संकल्प लिया गया कि 'टीम काटन' बनाकर समन्वय के साथ काम करेंगे और अगले पांच वर्षों में कपास मामले में भारत को आत्मनिर्भर बना देंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह की मौजूदगी में हुई इस बैठक में कपास की खेती की दशा-दिशा बदलने की तैयारी दिखी। सरकार अब बाजार, नीति एवं विज्ञान के स्तर पर कपास खेती को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध होगी। कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने बताया, 'टीम काटन' में केंद्रीय कृषि एवं कपड़ा मंत्रालय के साथ आइसीएआर, राज्यों के कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति और किसान शामिल होंगे। काटन एवं सीड इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा।
10.
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण ने शुक्रवार को सूक्ष्म परजीवी ततैया की चार नई प्रजातियों की खोज की घोषणा की। पश्चिम बंगाल में खोजी गई ये ततैया जीनस इदरीस फोर्स्टर से संबंधित हैं। ये सामूहिक परजीविता का प्रदर्शन करती हैं जिसमें कई ततैया एक ही मकड़ी के अंडे के थैले में विकसित होती हैं। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण की निदेशक धृति बनर्जी ने इस खोज के पारिस्थितिकीय महत्व पर जौर देते हुए कहा कि यह "जैव विविधता को समझने के लिए एक आधुनिक, समग्र दृष्टिकोण" का प्रतिनिधित्व करती है।
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