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News Highlights provides you with the best compilation of the Daily News Highlights taking place across the globe: National, International, Sports, Science and Technology, Banking, Economy, Agreement, Appointments, Ranks, and Report and General Studies

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DAINIK JAGRAN

1.

जब संविधान में नहीं है तो क्या कोर्ट विधेयकों पर मंजूरी की तय कर सकता है समय सीमा

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विधेयकों पर मंजूरी के बारे में समय सीमा तय करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए शीर्ष अदालत को रिफरेंस (राष्ट्रपति प्रपत्र) भेजकर राय मांगी है। हालांकि, रिफरेंस में कोर्ट के फैसले का जिक्र नहीं है, लेकिन घुमा-फिराकर जो संवैधानिक सवाल पूछे गए हैं और सुप्रीम कोर्ट से राय मांगी गई है, उनमें लगभग सभी सवाल उस फैसले से जुड़े नजर आते हैं। कुल 14 सवालों पर राय मांगी गई है। राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 143(1) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट से पूछा है कि जब संविधान में विधेयकों पर मंजूरी के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है, तो क्या न्यायिक आदेश के जरिये समय सीमा लगाई जा सकती है? क्या राज्य विधानमंडल द्वारा बनाया गया कानून संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल की मंजूरी मिले बगैर लागू होगा?


2.

प्राथमिकता के आधार पर विशेष पाक्सो अदालतें स्थापित करें केंद्र

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों से विशेष रूप से निपटने के लिए उच्च प्राथमिकता के आधार पर पाक्सो अदालतें स्थापित करे। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने गुरुवार को कहा, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पाक्सो) अधिनियम के मामलों के लिए विशेष अदालतों की संख्या अपर्याप्त होने से कानून के तहत तय समयसीमा का पालन नहीं हो पा रहा है। 


3.

जस्टिस सोमशेखर होंगे मणिपुर हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश

सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने गुरुवार को कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायाधीश केम्पैया सोमशेखर को मणिपुर हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय कोलेजियम ने गुरुवार को अपनी बैठक में वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डी कृष्णकुमार की 21 मई को सेवानिवृत्ति के मद्देनजर नियुक्ति की सिफारिश की है।


4.

इसलिए महत्वपूर्ण है संविधान को लेकर राष्ट्रपति के पूछे गए ये सवाल

राष्ट्रपति की ओर से पूछे गए ये सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि संविधान कहता है कि राज्य विधानमंडल से पारित कोई भी विधेयक राज्यपाल की सहमति के बाद ही कानून बनता है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में राज्यपाल द्वारा रोके गए विधेयकों को उस तारीख से मंजूर घोषित कर दिया था, जिस तारीख को वे राज्यपाल के सामने मंजूरी के लिए पेश हुए थे। यह पहली बार था, जब सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बिल मंजूर किए गए थे। राष्ट्रपति ने पूछा है कि क्या संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के प्रविधान को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की किसी भी पीठ के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह पहले यह तय करे कि उसके समक्ष विचाराधीन मुद्दे में संविधान की व्याख्या का महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल है और उसे विचार के लिए कम-से-कम पांच न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाना चाहिए?


5.

अंतरिक्ष में इंसानों के रहने के लिए पहली बार प्रयोग करेगा भारत

अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में कई इतिहास रच चुका भारत अब अंतरिक्ष में इंसानों के रहने की संभावना तलाशने के लिए कमर कस चुका है। दुनिया में पहली बार भारत अंतरिक्ष में इंसानों के रहने की संभावना का अध्ययन करने के लिए जैविक प्रयोग करने वाला है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने पोस्ट किया, दुनिया में अपनी तरह की पहली ऐतिहासिक पहल के तहत भारत अंतरिक्ष में मानव जीवन की स्थिरता का अध्ययन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) पर जैविक प्रयोग करने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सहयोग से एक्सिओम-4 मिशन के तहत ये प्रयोग किए जाएंगे। इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला शामिल होंगे।


6.

स्वदेशी रक्षा प्रणाली की चमत्कारिक जीत

भारतीय सेनाएं आपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर भारी पड़ीं। पाकिस्तान में बड़े-बड़े आतंकी अड्डे नष्ट करने के बाद भारत ने लाहौर और रावलपिंडी तक जगह-जगह लक्षित ड्रोन हमले जारी रखे। इन जगहों में लाहौर की डिफेंस हाउसिंग अथारिटी गुलबर्गा और रावलपिंडी में आइएसआइ के गुप्त ठिकाने भी थे। इससे स्पष्ट हो गया कि हमारी सेना द्वारा उपयोग की जा रही ड्रोन तकनीक पाकिस्तान की चीन से ली गई वायु प्रतिरक्षा प्रणाली पर भारी पड़ी। हमारे ड्रोन मौत बनकर सीधे दुश्मन की फौजी छावनियों के ऊपर मंडरा रहे थे। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों और आम नागरिकों को तुर्किये और चीनी ड्रोन बेड़े के जरिये निशाना बनाने की कोशिश की। उसने सैकड़ों ड्रोन एक साथ भेजे, परंतु स्वदेशी वायु प्रतिरक्षा प्रणाली आकाशतीर आदि ने उन्हें पूर्णतया विफल कर दिया। ध्यान रहे कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच नाटो के जरिये पाकिस्तान और तुर्किये में एक गुप्त समझौता हुआ था, जिसके अंतर्गत तुर्किये के बरकतयार ड्रोन का उत्पादन दोनों देश मिलकर कर रहे थे और इन्हीं ड्रोनों की आपूर्ति यूक्रेन को हो रही थी। यही ड्रोन रूस के विरुद्ध काफी सफल भी हो रहे थे और कई बार रूसी रक्षा प्रणाली को चकमा देकर 1500 किमी दूर मास्को तक हमले में सफल रहे। परंतु यह भारतीय वायु प्रतिरक्षा प्रणाली का कमाल ही कहा जाएगा कि कोई पाकिस्तानी ड्रोन चंडीगढ़ अथवा दिल्ली तक नहीं पहुंच सका और उन्हें सीमा के निकट ही ध्वस्त कर दिए गए। जब 9-10 मई की रात पाकिस्तान ने बड़े हमले की मंशा से आपरेशन बनयान अल-मसूस शुरू किया और ड्रोन के साथ उन्नत फतह श्रेणी की मिसाइलें दागी गई तो हमने उन्हें भी नाकाम कर दिया और इसके कुछ ही मिनट में हमारी सेनाओं ने पाकिस्तान के उन सभी वायु सैनिक अड्डों को निशाना बनाया, जहां पर उन्नत श्रेणी के अमेरिकी एफ-16 और चीनी जेफ-17 विमान थे।


7.

भारत को विकसित बनाने वाली योजना

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भारतीय अर्थव्यवस्था के आधार स्तंभ हैं। ये व्यवसाय मुख्य रूप से अपंजीकृत संगठनों के रूप में कार्य करते हुए भारत के सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। 2024-25 में भारत के कुल निर्यात में उनका योगदान 45.79 प्रतिशत रहा। एमएसएमई को ऋण उपलब्ध कराना हमारी वित्तीय प्रणाली के लिए एक चुनौती रही है, लेकिन हाल के समय में बैंकों द्वारा भारत की नवीन प्रौद्योगिकी को पूरी तरह आत्मसात कर लिया गया है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना यानी पीएमएमवाइ उद्यमशीलता और स्वरोजगार को गति देकर व्यापक परिवर्तन लाने में सफल रही है। पीएमएमवाइ के अधिकांश लाभार्थी सामान्य शुरुआत कर पहली पीढ़ी के व्यवसायी बने हैं। वित्त वर्ष 2015-16 से आरंभ पीएमएमवाइ एक युगांतकारी अग्रणी कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य वित्त विहीन सूक्ष्म उद्यमों और छोटे व्यवसायों को वित्त उपलब्ध कराना है। प्रारंभ में इस योजना का लक्ष्य विनिर्माण, व्यापार और सेवा क्षेत्रक सहित गैर-कृषि क्षेत्र था। बाद में इसके अंतर्गत कृषि गतिविधियों को भी शामिल कर लिया गया। पीएमएमवाइ के तहत कुल ऋण भुगतान वित्त वर्ष 2016 में 1.37 लाख करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2025 में फरवरी के अंत तक 4.8 लाख करोड़ रुपये हो गया। औसत ऋण राशि जो 2016 में 38,100 रुपये थी, वह 2025 में बढ़कर 1,02,870 रुपये हो गई। इस दौरान लगभग सभी बैंकों में औसत ऋण राशि में वृद्धि देखी गई।


8.

सटीक प्रहार करने में सक्षम महायोद्धा

वस्तुतः युद्ध अब अस्त्र से अधिक शस्त्र के माध्यम से लड़ा जाने लगा है। थोड़ा पीछे चलें तो कुछ वर्ष पहले बर्फीली सर्दियों में रूस और यूक्रेन की जंगी आंच तेज हो रही थी। यूक्रेन की राजधानी कीव को कब्जाने रूसी सेना का 64 किलोमीटर लंबा विशाल सैन्य काफिला आगे बढ़ा, परंतु रास्ते में ठिठक गया। सर्द अंधेरी रातों में स्वयं को गर्म स्खने के लिए रूसी सैनिकों को टैकों व गाड़ियों के इंजन को चालू रखना पड़ता था। उधर, यूक्रेन ने अपनी ओर से पुख्ता रणनीति बना रखी थी। यूक्रेन के इंफ्रारेड कैमरे और हीट सेंसर वाले ड्रोन, जो बिना आवाज किए शत्रु पर हमला करने में सक्षम थे, उनकी गर्मी से उनके ठिकाने भांपकर सटीक वार करते हुए उन्हें तबाह कर रहे थे। महाशक्ति रूस द्वारा कीव को कब्जा करने के मंसूबों को मामूली ड्रॉस ने पानी फेर दिया। छोटे आकार के के ड्रोन उत्कृष्ट तकनीक का कमाल दिखाते हुए कम खर्च में जंग की बाजी पलट साबित होंगे सो आगामी सैन्य संघर्षों में इनका ही बोलबाला रहने वाला है।


9.

आतंक के विरुद्ध जीरो टालरेंस

पहलगाम हलगाम में हुए आतंकी हमले का भारत ने पाकिस्तान को पूरी क्षमता के साथ जवाब दिया है। आपरेशन सिंदूर के माध्यम से आतंकवाद के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई करके भारत ने मिसाल पेश की है। अपनी सहिष्णु संस्कृति के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध भारत ने यह बता दिया है कि आतंकवाद समस्या तो है, लेकिन इसका निदान भी है। इसके समाधान का एक ही विकल्प है कि आतंकवाद के विरुद्ध पहले स्वयं को खड़ा करना पड़ेगा। वस्तुतः पहलगाम में हुई आतंकी घटना के बाद पूरे विश्व में भारत के अगले कदम की प्रतीक्षा थी। विश्व यह समझ चुका था कि मजबूत नेतृत्व में भारत इस घटना पर जल्द ही अपनी ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया देगा। ऐसे में भारत ने आतंक के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने के निर्णय के साथ इस दिशा में आगे बढ़ते हुए यह बता दिया कि आतंकवाद के विरुद्ध भारत की नीति जीरो टालरेंस की हैं।


10.

चुनौतियों के बावजूद निर्यात में नौ प्रतिशत की वृद्धि

वैश्विक चुनौतियों के बावजूद चालू वित्त वर्ष 2025-26 के पहले महीने यानी अप्रैल के वस्तु निर्यात में पिछले साल अप्रैल के मुकाबले 9.02 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही। इस अवधि में सेवा निर्यात में 15 प्रतिशत से अधिक का इजाफा रहा। दूसरी तरफ इस साल अप्रैल में वस्तुओं के आयात में 19.13 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही, जो घरेलू बाजार की मांग में तेजी को दर्शा रहा है। अप्रैल में वस्तुओं का निर्यात 38.4 अरब डालर तो आयात 65 अरब डालर का रहा। अप्रैल में सेवा निर्यात 35.31 अरब डालर का रहा। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में वस्तु व सेवा को मिलाकर भारत का कुल निर्यात 825 अरब डालर का रहा जबकि इससे पूर्व के वित्त वर्ष में सेवा व वस्तु का कुल निर्यात 778 अरब डालर का था। 


11.

अमेरिका से ज्यादा एनर्जी उत्पाद खरीदने पर होगा समझौता

अगले हफ्ते भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबारी समझौते को लेकर महत्वपूर्ण वार्ता का दौर शुरू होगा। वाशिंगटन में होने वाली वार्ता में अमेरिका से एनर्जी उत्पादों की खरीद का मुद्दा अहम होगा। इसमें कच्चा तेल भी होगा और गैस भी। अगर सब कुछ ठीक रहा तो वर्ष 2025 में भारत अमेरिका से 25 अरब डालर मूल्य के पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद करेगा, जो वर्ष 2024 में 10 अरब डालर की खरीद से दोगुने से ज्यादा है। सिर्फ पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद ही भारत और अमेरिका के बीच 41 अरब डालर के कारोबारी घाटे के एक बड़े हिस्से को पूरा करेगा।


12.

भारत में कच्चे तेल की मांग 2025 में चीन की तुलना में दोगुनी रफ्तार से बढ़ेगीः ओपेक

भारत की तेल मांग वर्ष 2025 और 2026 में प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज गति से बढ़ने की उम्मीद है और यह चीन की वृद्धि दर से दोगुनी होगी। तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने अपने नवीनतम वैश्विक परिदृश्य में कहा है कि भारत की तेल मांग वर्ष 2024 में 55 लाख बैरल प्रतिदिन से बढ़कर वर्ष 2025 में 57 लाख बैरल प्रतिदिन होने का अनुमान है, जो 3.39 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्ष, 2026 में 4.28 प्रतिशत की वृद्धि के साथ तेल की मांग 59 लाख बैरल प्रतिदिन तक बढ़ने का अनुमान है। मांग में यह वृद्धि चीन की तेल मांग में 2025 में 1.5 प्रतिशत और 2026 में 1.25 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि से अधिक है।


13.

चंद्रमा के दो पक्ष दिखते हैं एक दूसरे से काफी भिन्न

चांद के दो पक्ष अलग-अलग दिखने का मुख्य कारण चंद्रमा का अपने अक्ष पर एक बार में पृथ्वी का एक ही तरफ घूमना है। यह प्रक्रिया चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण से भी जुड़ी हुई है। नासा के दो रोबोटिक अंतरिक्ष यानों द्वारा प्राप्त डाटा के माध्यम से चांद के गुरुत्वाकर्षण का अध्ययन यह संकेत दे रहा है कि चांद के दो पक्ष जिसमें एक जो हमेशा पृथ्वी की ओर है, है, दूसरा जो हमेशा इसके विपरीत है, इतने भिन्न क्यों दिखते हैं।


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