हर साल भारत में राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस (National Statistics Day) मनाया जाता है ताकि महान भारतीय सांख्यिकीविद प्रसांत चंद्र महालनोबिस को श्रद्धांजलि दी जा सके और यह समझाया जा सके कि आंकड़े (statistics) किस तरह से देश की नीतियों और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

यह दिवस केवल सम्मान का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय संदेश है कि आधुनिक भारत को आगे बढ़ाने में आंकड़ों और सांख्यिकी विज्ञान का कितना बड़ा योगदान है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 2025: तिथि और थीम

राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 2025 इस वर्ष शनिवार, 29 जून को मनाया जाएगा। यह दिन प्रसांत चंद्र महालनोबिस की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो भारत में आधुनिक सांख्यिकी के जनक माने जाते हैं।

इस वर्ष की थीम है:

“निर्णय लेने के लिए आंकड़ों का उपयोग” 

यह थीम यह दर्शाती है कि आज के दौर में, नीतिगत और प्रशासनिक निर्णयों के लिए आंकड़ों का सही उपयोग कितना आवश्यक है। डिजिटल युग में, जहां डेटा ही असली शक्ति है, यह विषय अत्यंत प्रासंगिक है।

प्रसांत चंद्र महालनोबिस: भारतीय सांख्यिकी के जनक

प्रसांत चंद्र महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 को हुआ था। वे एक महान वैज्ञानिक, सांख्यिकीविद और योजनाकार थे। उन्होंने भारत में सांख्यिकी की नींव रखी और आधुनिक आंकड़ा प्रणाली को दिशा दी।

उनके प्रमुख योगदान:

  • महालनोबिस दूरी (Mahalanobis Distance): एक प्रसिद्ध सांख्यिकीय माप, जिसका उपयोग pattern recognition और cluster analysis में होता है।
  • भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना 1931 में की।
  • योजना आयोग के सदस्य के रूप में उन्होंने द्वितीय पंचवर्षीय योजना में औद्योगीकरण पर जोर दिया।
  • भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया।

उनकी सोच और कार्यों की झलक आज भारत के विकास के हर पहलू में दिखाई देती है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस का इतिहास

भारत सरकार ने 2007 में 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस घोषित किया। इसका उद्देश्य महालनोबिस की जयंती मनाना ही नहीं, बल्कि युवाओं और आम जनता को सांख्यिकी की उपयोगिता के बारे में जागरूक करना भी है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) हर साल इस दिन को भव्य रूप से मनाता है, जिसमें राष्ट्रीय संगोष्ठी, व्याख्यान और सांख्यिकीय प्रदर्शनी आयोजित की जाती हैं।

राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस का उद्देश्य और महत्व

इस दिन का महत्व केवल एक व्यक्ति की उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आंकड़ों की ताकत और देश के विकास में उनके उपयोग को उजागर करने का अवसर है।

मुख्य उद्देश्य:

  1. सांख्यिकी साक्षरता बढ़ाना: विशेषकर छात्रों और शोधकर्ताओं में आंकड़ों की समझ विकसित करना।
  2. डेटा साइंस में करियर को बढ़ावा देना: युवाओं को प्रेरित करना कि वे सांख्यिकी और डेटा विश्लेषण में करियर बनाएं।
  3. नीति निर्माण में आंकड़ों का योगदान: सरकार और संगठनों को तथ्य आधारित निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करना।

सांख्यिकी का भारत की नीतियों और शासन में योगदान

भारत में हर क्षेत्र में निर्णय लेने के लिए आंकड़ों का इस्तेमाल होता है।

  1. आर्थिक योजना: GDP, बेरोजगारी दर, मुद्रास्फीति जैसे आंकड़ों से सरकार अपनी आर्थिक नीति तय करती है।
  2. स्वास्थ्य और शिक्षा: NFHS जैसे सर्वेक्षणों से जनसंख्या, पोषण, शिक्षा स्तर आदि की जानकारी मिलती है।
  3. सामाजिक योजनाएं: गरीबी रेखा, बाल मृत्यु दर, जनसंख्या वृद्धि जैसे आंकड़े कल्याणकारी योजनाओं के लिए जरूरी होते हैं।
  4. कृषि और ग्रामीण विकास: फसल उत्पादन, बारिश और बाजार मूल्य का पूर्वानुमान सांख्यिकी से संभव होता है।

राष्ट्रीय बनाम विश्व सांख्यिकी दिवस

मापदंडराष्ट्रीय सांख्यिकी दिवसविश्व सांख्यिकी दिवस
तिथि29 जून (हर वर्ष)20 अक्टूबर (हर 5 साल में)
प्रेरणामहालनोबिस की जयंतीवैश्विक सांख्यिकी जागरूकता
आयोजकभारत सरकारसंयुक्त राष्ट्र
शुरुआत20072010

2025 में कैसे मनाया जाएगा राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस?

इस वर्ष विभिन्न शैक्षणिक संस्थान, सरकारी विभाग और अनुसंधान केंद्र इस दिन को विविध गतिविधियों के माध्यम से मनाएंगे:

  • प्रमुख वैज्ञानिकों के व्याख्यान और संबोधन
  • थीम पर आधारित तकनीकी सेमिनार
  • छात्रों के लिए निबंध, पोस्टर प्रतियोगिता
  • ऑनलाइन वेबिनार और चर्चाएं
  • सांख्यिकी में उत्कृष्टता के लिए सम्मान और पुरस्कार

सांख्यिकी में युवाओं के लिए अवसर

इस दिन के माध्यम से युवाओं को यह सिखाया जाता है कि कैसे वे आंकड़ों की शक्ति को समझें और भविष्य में डेटा-संचालित करियर अपनाएं। AI, Machine Learning और Big Data के युग में सांख्यिकी की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 2025 न केवल प्रसांत चंद्र महालनोबिस को श्रद्धांजलि है, बल्कि यह भारत को डेटा-संचालित राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ाने की दिशा में एक कदम भी है। आज की दुनिया में, जहां निर्णय लेने से लेकर नीति बनाने तक हर जगह आंकड़ों की जरूरत है, वहां सांख्यिकी का महत्व पहले से कहीं अधिक है।

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