हर वर्ष 22 जुलाई को राष्ट्रीय ध्वज दिवस मनाया जाता है, जो हमारे स्वतंत्रता संग्राम, संविधानिक मूल्यों और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक भारतीय तिरंगे को सम्मान देने का दिन है। यह दिन हमें उस गर्व और सम्मान की याद दिलाता है जो भारत के हर नागरिक को अपने राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ा हुआ महसूस होता है।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास एक लंबी यात्रा है, जिसमें देशभक्ति, बलिदान और सांस्कृतिक विविधता की झलक मिलती है।

  • 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर में पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। इसमें हरे, पीले और लाल रंग की तीन क्षैतिज धारियाँ थीं।
  • 1921 में, पिंगली वेंकय्या ने एक ऐसा ध्वज डिजाइन किया जिसमें हिंदू और मुस्लिम समुदायों को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाने के लिए केसरिया और हरा रंग शामिल था।
  • 22 जुलाई 1947 को, स्वतंत्रता से कुछ दिन पहले, संविधान सभा ने वर्तमान तिरंगे को भारत के आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया।

तिरंगे का महत्व

हमारा राष्ट्रीय ध्वज, जिसे तिरंगा कहा जाता है, केवल कपड़े का टुकड़ा नहीं, बल्कि यह भारत की आत्मा, मूल्यों और पहचान का प्रतीक है।

  • केसरिया (ऊपरी पट्टी): साहस, त्याग और बलिदान का प्रतीक।
  • सफेद (मध्य पट्टी): सत्य, शांति और ईमानदारी का प्रतिनिधित्व करता है।
  • हरा (निचली पट्टी): समृद्धि, हरियाली और आशा का संकेत है।
  • अशोक चक्र (बीच में): न्याय, प्रगति और सतत गति का प्रतीक है, जिसमें 24 तीलियाँ होती हैं और यह सम्राट अशोक के धर्म चक्र से लिया गया है।

राष्ट्रीय ध्वज दिवस कब मनाया जाता है?

राष्ट्रीय ध्वज दिवस हर साल 22 जुलाई को मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1947 में संविधान सभा ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था।

उद्देश्य और महत्व

इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है:

  • नवयुवकों को जागरूक करना: उन्हें राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास और मूल्यों के बारे में जानकारी देना।
  • एकता का संदेश देना: तिरंगा सभी जाति, धर्म, और भाषा को एकसाथ जोड़ता है।
  • देश के प्रति श्रद्धा जताना: यह दिन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने और देश की प्रगति में योगदान का संकल्प लेने का है।

भारतीय ध्वज संहिता – झंडा फहराने के नियम

भारतीय ध्वज संहिता (Flag Code of India), तिरंगे के सम्मान और गरिमा को बनाए रखने के लिए बनाए गए नियमों का एक समूह है।

महत्वपूर्ण नियम:

  • तिरंगा केवल खादी या हाथ से बुने हुए कपड़े से बना होना चाहिए।
  • इसे पोशाक या सजावट के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता।
  • किसी भी अन्य झंडे को तिरंगे से ऊँचा या समानांतर नहीं फहराया जा सकता
  • झंडा सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहराया जाना चाहिए।
  • शोक के समय तिरंगा अर्ध-झुका हुआ फहराया जाता है।

2022 में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत पॉलिएस्टर या मशीन से बने झंडों की अनुमति दी गई ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग भाग ले सकें।

राष्ट्रीय ध्वज दिवस पर कैसे मनाते हैं?

पूरे देश में यह दिन देशभक्ति और एकता के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

आम कार्यक्रम:

  • विद्यालयों और कार्यालयों में ध्वजारोहण।
  • देशभक्ति गीतों और भाषणों का आयोजन।
  • निबंध लेखन, चित्रकला प्रतियोगिताएं, जिनका विषय तिरंगा होता है।
  • तिरंगे के इतिहास पर डॉक्युमेंट्री या प्रदर्शनी आयोजित करना।
  • बच्चों को ध्वज को सही ढंग से फहराने और सम्मान देने का प्रशिक्षण देना।

पिंगली वेंकय्या – ध्वज के निर्माता

पिंगली वेंकय्या का नाम भारतीय ध्वज के इतिहास में अमर है।

  • वे आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे और एक स्वतंत्रता सेनानी, भाषाविद और वैज्ञानिक थे।
  • उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक स्वदेशी ध्वज की आवश्यकता महसूस की।
  • उनके डिज़ाइन को कई दौरों के सुधारों के बाद, 1947 में आधिकारिक रूप से अपनाया गया
  • हाल ही में सरकार द्वारा उनके योगदान को सम्मानित करने की दिशा में प्रयास किए गए हैं।

तिरंगा – भारतीय संप्रभुता का प्रतीक

तिरंगा केवल एक झंडा नहीं, बल्कि यह भारत की संप्रभुता, लोकतंत्र और आत्मगौरव का प्रतीक है।

  • जब तिरंगा अंतरराष्ट्रीय मंचों, जैसे ओलंपिक, यूएन, या विदेशी यात्राओं में लहराता है, तब यह 125 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • यह हमें हमारे कर्तव्यों और अधिकारों की याद दिलाता है और एक समृद्ध और शक्तिशाली भारत की ओर प्रेरित करता है।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय ध्वज दिवस, तिरंगे के गौरव को सलाम करने और हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का एक सुनहरा अवसर है। यह दिन हमें स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाता है और हमें एक सशक्त, समर्पित और एकजुट भारत की ओर आगे बढ़ने का संकल्प दिलाता है।

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