क्या है अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस?
हर साल 26 जून को ‘नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को नशे की लत और गैरकानूनी ड्रग्स के व्यापार के खतरों के बारे में जागरूक करना है। यह दिवस 1987 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के निर्णय के बाद शुरू हुआ था, ताकि दुनियाभर के देश मिलकर नशे की समस्या से लड़ सकें और एक नशामुक्त समाज बना सकें।
इस दिवस का उद्देश्य
- नशे के दुरुपयोग के खतरों के बारे में जागरूकता फैलाना।
- नशे की रोकथाम और इलाज के बारे में जानकारी देना।
- नशे की गिरफ्त में आए लोगों को मदद और पुनर्वास देना।
- देशों के बीच सहयोग बढ़ाना और नशे के खिलाफ सख्त कानून बनाना।
- युवाओं और समाज को नशे से बचाने के लिए प्रोत्साहित करना।
2025 की थीम
वर्ष 2025 के लिए अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस की थीम है –
“बाधाओं को तोड़ना: सभी के लिए रोकथाम, उपचार और पुनर्प्राप्ति”।
हर साल थीम के जरिए नशे की सबसे गंभीर समस्याओं और उनके समाधान पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
विश्व ड्रग रिपोर्ट के मुख्य तथ्य
संयुक्त राष्ट्र हर साल ‘वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट’ जारी करता है, जिसमें ड्रग्स के इस्तेमाल और तस्करी से जुड़े आंकड़े दिए जाते हैं:
- 2022 में दुनियाभर में 292 मिलियन से ज्यादा लोगों ने गैरकानूनी ड्रग्स का इस्तेमाल किया, जो पिछले 10 सालों में 20% की बढ़ोतरी है।
- सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली ड्रग्स हैं: गांजा, ओपिओइड्स, एम्फेटामिन, और कोकीन।
- नए सिंथेटिक ओपिओइड्स (जैसे निटाजीन) के कारण कई देशों में ओवरडोज़ से मौतें बढ़ रही हैं।
- ड्रग्स की तस्करी मानव तस्करी और पर्यावरणीय अपराधों से भी जुड़ी है।
भारत में नशा निषेध दिवस
देश में भी 26 जून को ‘राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस’ मनाया जाता है। भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह दो बड़े ड्रग्स उत्पादक क्षेत्रों के पास है—गोल्डन क्रेसेंट (अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान) और गोल्डन ट्रायंगल (म्यांमार, थाईलैंड, लाओस)—जिससे तस्करी की समस्या और बढ़ जाती है।
भारत में इस दिन क्या होता है?
- सरकार और सामाजिक संगठन जागरूकता रैलियाँ, स्कूलों में कार्यक्रम, पोस्टर प्रतियोगिता और सेमिनार आयोजित करते हैं।
- 2014 के बाद से ड्रग्स के मामलों, गिरफ्तारियों और जब्त की गई ड्रग्स की मात्रा में भारी बढ़ोतरी हुई है।
- 2014 से अब तक 12 लाख किलोग्राम से अधिक ड्रग्स नष्ट की गई हैं।
हिन्दुस्तान में ड्रग्स की समस्या
- भारत ट्रांजिट और डेस्टिनेशन दोनों है—यहाँ ड्रग्स की तस्करी भी होती है और यहाँ के लोग भी नशे के शिकार हैं।
- सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले पदार्थ हैं: शराब, गांजा, हेरोइन, सिंथेटिक ओपिओइड्स, दवाइयाँ और किशोरों में इनहेलेंट्स।
- 2022 में भारत में 1,15,236 ड्रग्स के मामले दर्ज हुए, जिनमें केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु सबसे आगे हैं।
भारत की कार्रवाई
- ड्रग्स की जब्ती दोगुनी, गिरफ्तारियाँ चार गुना और जब्त ड्रग्स का मूल्य 30 गुना बढ़ा है।
- नारकोटिक्स कंट्रोल के लिए कई एजेंसियाँ और तकनीकी प्लेटफॉर्म (जैसे SIMS पोर्टल) बनाए गए हैं।
- ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ (2020 से) के तहत करोड़ों लोगों को जागरूक किया गया है, हजारों स्कूलों और स्वयंसेवकों ने भाग लिया है।
जल्दी हस्तक्षेप क्यों जरूरी है?
अक्सर नशे की शुरुआत किशोरावस्था में होती है, जब युवा साथियों के दबाव, जिज्ञासा या मानसिक तनाव के कारण नशा आज़माते हैं। रोकथाम के लिए जरूरी है:
- स्कूलों में जीवन कौशल और मानसिक मजबूती पर कार्यक्रम।
- माता-पिता के लिए चेतावनी संकेतों की जानकारी।
- सामुदायिक जागरूकता अभियान।
- कॉलेजों और दफ्तरों में मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा।
क्या आप जानते हैं कि 26 जून को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस क्यों महत्वपूर्ण है?
26 जून को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिन दुनियाभर में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाने और कार्रवाई करने का प्रतीक है। इस दिन का उद्देश्य लोगों में नशे की लत के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, रोकथाम के उपायों को बढ़ावा देना, इलाज और पुनर्वास को समर्थन देना, और देशों के बीच सहयोग को मजबूत करना है ताकि एक नशामुक्त समाज बनाया जा सके
भारत में नशा मुक्ति के लिए सरकार ने कौन-कौन से कदम उठाए हैं?
भारत में नशा मुक्ति के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, ताकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी को रोका जा सके। यहां कुछ प्रमुख सरकारी प्रयासों का विवरण दिया गया है:
1. नशा मुक्त भारत अभियान (Nasha Mukt Bharat Abhiyaan)
- यह अभियान अगस्त 2020 में शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य देशभर में नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाना, लोगों को सहायता देना और पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध कराना है।
- अब तक 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को जागरूक किया जा चुका है, 3 लाख से अधिक शैक्षणिक संस्थान और 8,000 से अधिक मास्टर वॉलंटियर्स इस अभियान में जुड़े हैं।
2. कानूनी और प्रशासनिक सख्ती
- नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेस एक्ट (NDPS Act) के तहत सख्त कानून बनाए गए हैं।
- 2014 के बाद से ड्रग्स के मामलों में 152% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, गिरफ्तारियों में 400% की वृद्धि हुई है और जब्त की गई ड्रग्स का मूल्य 30 गुना बढ़ा है।
- 2014 से अब तक 12 लाख किलोग्राम से अधिक ड्रग्स नष्ट की गई हैं।
3. इंटर-एजेंसी समन्वय और तकनीकी उपाय
- नारको कोऑर्डिनेशन सेंटर (NCORD) और जॉइंट कोऑर्डिनेशन कमेटी (JCC) के जरिए विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाया गया है।
- SIMS पोर्टल विकसित किया गया है, जिससे ड्रग्स से जुड़े मामलों की मॉनिटरिंग और डेटा ट्रैकिंग आसान हुई है।
- समुद्री मार्गों की निगरानी के लिए विशेष टास्क फोर्स बनाई गई है।
4. जागरूकता और शिक्षा
- स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
- युवाओं और अभिभावकों के लिए कार्यशालाएं, सेमिनार और काउंसलिंग सत्र आयोजित किए जाते हैं, ताकि वे नशे के दुष्परिणाम समझ सकें और समय रहते मदद ले सकें।
5. पुनर्वास और सहायता केंद्र
- देशभर में सरकारी और गैर-सरकारी पुनर्वास केंद्रों की स्थापना की गई है, जहां नशा पीड़ितों को इलाज, काउंसलिंग और पुनर्वास की सुविधा मिलती है।
6. सीमा सुरक्षा और तस्करी पर नियंत्रण
- भारत की सीमाओं पर सुरक्षा एजेंसियों को मजबूत किया गया है, ताकि ड्रग्स की तस्करी को रोका जा सके।
- ड्रग्स की तस्करी के मामलों में वित्तीय जांच और संपत्ति जब्त करने जैसी सख्त कार्रवाई की जा रही है।
7. समुदाय और परिवार की भागीदारी
- सरकार समुदाय और परिवारों को भी नशा मुक्ति अभियान में शामिल कर रही है, ताकि समाज का हर वर्ग इसमें सहयोग दे सके।
निष्कर्ष
अंतर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि एक वैश्विक आंदोलन है। यह हमें याद दिलाता है कि नशे की समस्या से मिलकर, जागरूकता, सहयोग और सही कदमों से लड़ा जा सकता है। सही जानकारी, समय पर मदद और समाज का सहयोग—यही नशामुक्त भविष्य की कुंजी है।