हर साल मई का महीना पूरी दुनिया में “मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह” (Mental Health Awareness Month) के रूप में मनाया जाता है। इस माह का मुख्य उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को उजागर करना, मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाना और उन व्यक्तियों का समर्थन करना है जो मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।
मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह का इतिहास
मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह की शुरुआत वर्ष 1949 में हुई थी। इसके पीछे “मानसिक स्वास्थ्य अमेरिका” (आज के समय में नेशनल एसोसिएशन फॉर मेंटल हेल्थ) की सक्रियता रही। इस अभियान को प्रेरणा देने वाले प्रमुख व्यक्ति थे क्लिफोर्ड बीयर्स (Clifford Beers), जिन्होंने स्वयं मानसिक बीमारियों का अनुभव किया था और इसके समाधान के लिए समाज में जागरूकता फैलाने का बीड़ा उठाया था।
- इस पहल का उद्देश्य था —
- मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना,
- मानसिक बीमारियों से जुड़े सामाजिक कलंक (stigma) को खत्म करना,
- और जरूरतमंद व्यक्तियों तक सही जानकारी व सहायता पहुँचाना।
शुरुआत से लेकर आज तक, हर मई में इस माह के दौरान अनेक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं — जैसे सामुदायिक कार्यक्रम, शैक्षणिक कार्यशालाएँ, मीडिया अभियान आदि।
इस अभियान ने मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्वपूर्ण बनाने की दिशा में बहुत बड़ा योगदान दिया है।
हर वर्ष इसे अलग-अलग थीम के माध्यम से मनाया जाता है – जैसे ‘प्रारंभिक हस्तक्षेप’ (Early Intervention), ‘मानसिक बीमारियों से जुड़ी भ्रांतियाँ खत्म करना’ (Fighting Stigma), और ‘मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के बीच संबंध’ (Mind-Body Connection) आदि थीम से जागरूकता फैलाई जाती है।
यह माह लोगों को यह सिखाता है कि मानसिक स्वास्थ्य भी जीवन का एक मूलभूत हिस्सा है और इसमें समर्थन और समझ बेहद जरूरी है।
मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह का उद्देश्य
- मानसिक बीमारियों जैसे डिप्रेशन, एंग्जायटी, बाइपोलर डिसऑर्डर आदि के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
- मानसिक समस्याओं से ग्रसित व्यक्तियों को समर्थन देना।
- समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर फैले भ्रम और कलंक को समाप्त करना।
- सही समय पर इलाज और सलाह लेने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना।
- मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्वपूर्ण समझाना।
मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालने वाले कारण
- अत्यधिक तनाव और दबाव
- सामाजिक अलगाव और अकेलापन
- बचपन का मानसिक आघात
- आर्थिक कठिनाइयाँ
- नशे की लत (जैसे शराब, ड्रग्स)
- रिश्तों में समस्या या घरेलू हिंसा
- कार्यस्थल पर दबाव और असफलताएँ
मानसिक स्वास्थ्य खराब होने पर शरीर और दिमाग पर असर
- दिमाग पर प्रभाव:
- निरंतर उदासी या खालीपन की भावना
- चिड़चिड़ापन या गुस्सा आना
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- नकारात्मक सोच और आत्मघाती विचार
- शरीर पर प्रभाव:
- अनिद्रा या नींद बहुत अधिक आना
- भूख कम या अधिक लगना
- थकावट महसूस होना
- सिरदर्द, पेट दर्द और अन्य शारीरिक समस्याएँ
- इम्यून सिस्टम कमजोर होना
मानसिक स्वास्थ्य खराब होने के नुकसान
- कार्यक्षमता में गिरावट
- सामाजिक संबंधों में दूरी
- आत्म-सम्मान में कमी
- गंभीर मामलों में आत्महत्या का खतरा
- जीवन की गुणवत्ता में भारी गिरावट
कैसे बचाव करें? — मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रखें
- खुलकर बात करें: अगर आप परेशान हैं तो अपनों से या किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बातचीत करें। संवाद से समाधान निकलेगा।
- नियमित दिनचर्या बनाएँ: समय पर सोना, उचित आहार लेना और रोजाना हल्का व्यायाम करना अत्यंत आवश्यक है।
- तनाव प्रबंधन करें: योग, ध्यान और गहरी साँसों के अभ्यास को दिनचर्या में शामिल करें।
- खुद को समय दें: अपने शौक पूरे करें, प्रकृति के बीच समय बिताएँ, मनपसंद गतिविधियाँ करें।
- डिजिटल डिटॉक्स करें: सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का सीमित उपयोग करें।
- सकारात्मक सोच विकसित करें: छोटे-छोटे लक्ष्यों को पूरा कर आत्म-विश्वास बढ़ाएँ।
- विशेषज्ञ से मदद लें: यदि परेशानी बढ़ती जाए तो मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार (Psychologist/Psychiatrist) से परामर्श अवश्य लें।
निष्कर्ष
“मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह” हमें यह याद दिलाता है कि मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करना भी उतना ही आवश्यक है जितना शारीरिक स्वास्थ्य की। मानसिक रोगों को छुपाना नहीं, बल्कि समझदारी से स्वीकार कर सही मार्गदर्शन लेना चाहिए।
खुशहाल जीवन के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ रहना सबसे महत्वपूर्ण है।
आइए हम सब मिलकर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाएँ और एक बेहतर, समझदार समाज का निर्माण करें।