राष्ट्रीय संकटग्रस्त प्रजाति दिवस 2025: तिथि, इतिहास, थीम और महत्व
आज के दौर में जब पर्यावरण असंतुलन तेजी से बढ़ रहा है, संकटग्रस्त प्रजातियों और उनके प्राकृतिक आवासों को बचाना न केवल आवश्यक है, बल्कि हमारी सामूहिक जिम्मेदारी भी है। मानव गतिविधियों ने कई जीवों को विलुप्ति के कगार पर पहुँचा दिया है। ऐसे में राष्ट्रीय संकटग्रस्त प्रजाति दिवस हमें चेताता है कि समय रहते कार्रवाई करना कितना जरूरी है।
इतिहास
राष्ट्रीय संकटग्रस्त प्रजाति दिवस की शुरुआत वर्ष 2006 में अमेरिका में हुई थी। इसे डेविड रॉबिन्सन और Endangered Species Coalition ने मिलकर शुरू किया था। उसी वर्ष अमेरिकी सीनेट ने इसे आधिकारिक रूप से मान्यता दी और तय किया कि यह दिन हर वर्ष मई के तीसरे शुक्रवार को मनाया जाएगा।
इस दिवस का उद्देश्य आम लोगों में जैव विविधता के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना और संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण को प्रोत्साहित करना है।
राष्ट्रीय संकटग्रस्त प्रजाति दिवस 2025 की तिथि
इस वर्ष राष्ट्रीय संकटग्रस्त प्रजाति दिवस 16 मई 2025 (शुक्रवार) को मनाया जा रहा है। यह दिन हर साल मई के तीसरे शुक्रवार को मनाया जाता है।
संकटग्रस्त प्रजातियाँ कौन सी होती हैं?
संकटग्रस्त प्रजातियाँ वे जीव-जंतु, पक्षी, कीट या पौधे होते हैं जो विलुप्त होने के खतरे में हैं। इनकी संख्या इतनी कम हो चुकी होती है कि यदि इनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए उचित कदम न उठाए जाएँ, तो ये प्रजातियाँ पूरी तरह से गायब हो सकती हैं।
IUCN (International Union for Conservation of Nature) द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार, आज विश्व में लगभग 40% से अधिक जीव-जंतु और पौधे विलुप्ति के खतरे में हैं।
विलुप्ति होने के प्रमुख कारण
- प्राकृतिक आवासों का विनाश (वनों की कटाई, शहरीकरण, औद्योगिकीकरण)
- अत्यधिक शिकार व् शोषण
- जलवायु परिवर्तनवकी वजह से
- जल, वायु, भूमि आदि का प्रदूषण
- प्रवासी प्रजातियों का अतिक्रमण
- प्राकृतिक आपदाएँ
संरक्षण के प्रयास
- कैप्टिव ब्रीडिंग (कैद में प्रजनन): संकटग्रस्त प्रजातियों को संरक्षित वातावरण में प्रजनन कर उनकी संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
- आवास पुनर्स्थापना व् वनीकरण
- संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना जैसे राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य आदि।
- कानूनी संरक्षण: जैसे भारत का वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972।
राष्ट्रीय संकटग्रस्त प्रजाति दिवस 2025 का विषय
राष्ट्रीय संकटग्रस्त प्रजाति दिवस 2025 का विषय है “प्रजातियों के संरक्षण का उत्सव”। यह विषय उन सफल conservation प्रयासों की कहानियों को समर्पित है, जिनके चलते कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार से वापस लाई गई हैं। साथ ही, यह विषय जैव विविधता की सुरक्षा के लिए निरंतर प्रयासों और जागरूकता की आवश्यकता पर भी जोर देता है।
दिवस का वैश्विक महत्व
इस दिन दुनियाभर के स्कूल, पुस्तकालय, संग्रहालय, वन्यजीव संगठन और स्वयंसेवी संस्थाएँ विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं—जैसे:
- शिक्षात्मक प्रदर्शनियाँ
- वृक्षारोपण अभियान
- जागरूकता रैलियाँ
- बच्चों के लिए प्रतियोगिताएँ
इन आयोजनों का उद्देश्य जनता को शिक्षित करना और उन्हें प्रकृति संरक्षण की दिशा में प्रेरित करना है।
हम क्या कर सकते हैं?
- जैव विविधता के महत्व को समझें और दूसरों को भी जागरूक करें।
- पर्यावरण-संवेदनशील उत्पादों का प्रयोग करें।
- प्लास्टिक का उपयोग कम करें।
- स्थानीय वन्यजीव अभयारण्यों की सैर करें और सहयोग दें।
- पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी नीतियों का समर्थन करें।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय संकटग्रस्त प्रजाति दिवस केवल एक जागरूकता दिवस नहीं, बल्कि एक आह्वान है—प्रकृति और उसमें बसे हर जीवन को बचाने का। यह दिन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि यदि हमने अभी कदम नहीं उठाए, तो आने वाली पीढ़ियाँ केवल किताबों में ही इन अद्भुत प्रजातियों को देख सकेंगी।
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