भारत में हर साल 15 सितंबर को राष्ट्रीय इंजीनियर्स दिवस बड़े उत्साह और आत्म गौरव के साथ मनाया जाता है। यह दिन भारतीय समाज में अभियंताओं के अतुलनीय योगदान का सम्मान करता है और साथ ही दुनिया के महान सिविल इंजीनियर, सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती को चिह्नित करता है।

अभियंता दिवस का महत्व

अभियंता दिवस केवल एक तारीख नहीं है, बल्कि यह नवाचार, समस्या-समाधान, टेक्नोलॉजी और राष्ट्र निर्माण के लिए इंजीनियरों के जोश, समर्पण और रचनात्मकता का उत्सव है। उनकी मेहनत हमारे देश की प्रगति, बदलाव और सामाजिक विकास के स्तंभ हैं। आज भारत अपनी इंजीनियरिंग शक्तियों के बल पर वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ रहा है।

  • इंजीनियरिंग ने आधुनिक भारत के आधारभूत ढांचे (इन्फ्रास्ट्रक्चर), सड़कें, बांध, ब्रिज, बिजली, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी इत्यादि को ऊँचाइयाँ दी हैं।
  • अभियंता नए विचारों और तकनीकों के साथ जीवन को आसान और बेहतर बनाते हैं।
  • यह दिन विद्यार्थियों और युवाओं को प्रेरित करता है कि वे इंजीनियरिंग को करियर के रूप में चुने, ताकि देश के विकास में योगदान दे सकें।

राष्ट्रीय इंजीनियर्स दिवस 2025 की थीम

2025 में अभियंता दिवस की थीम है:
“Deep Tech & Engineering Excellence: Driving India’s Techade”
इसका अर्थ है – गहन तकनीकी क्षेत्र (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कम्प्यूटिंग, रोबोटिक्स, एडवांस्ड मैटेरियल्स) में उत्कृष्टता लाकर भारत को टेक्नोलॉजी की नई ऊँचाइयों तक पहुँचाना।
इस बार सरकार, उद्योग एवं शिक्षण संस्थान भारत के इंजीनियरों को डीप-टेक में आगे लाने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

  • थीम नवाचार, अनुसंधान, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और सतत विकास का संदेश देती है।
  • यह भारत को टेक्नोलॉजी के ‘टेकड’ में विश्व नेतृत्व की ओर आगे बढ़ने का संकेत है।

अभियंता दिवस का इतिहास

अभियंता दिवस की शुरुआत भारत में 1968 से हुई जब भारत सरकार ने महान अभियंता सर एम। विश्वेश्वरैया के योगदान को चिरस्थायी सम्मान देने हेतु उनकी जयंती 15 सितंबर को राष्ट्रीय अभियंता दिवस घोषित किया।
यह दिन न सिर्फ सर एमवी के योगदान को याद करने का अवसर है, बल्कि देशभर के सभी इंजीनियरों को उनकी मेहनत और समर्पण के लिए प्रोत्साहित करने का जरिया भी है।

  • सर एमवी का जन्म 15 सितंबर, 1861 को कर्नाटक के मुड्डेनहल्ली गाँव में हुआ था।
  • उन्होंने पुणे के साइंस कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया।
  • 1955 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
  • 1915 में ब्रिटिश सरकार ने सर एमवी को नाइटहुड की उपाधि दी।
  • 1962 में उनका निधन 102 वर्ष की आयु में हुआ।

सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जीवन और उपलब्धियाँ

प्रारंभिक जीवन

सर एमवी का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता एक संस्कृत विद्वान एवं आयुर्वेद विशेषज्ञ थे। शिक्षा के प्रति जुनून और संघर्ष ने सर एमवी को इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पहुंचाया।

शिक्षा व करियर

  • प्रारंभिक शिक्षा गाँव में पूरी की, फिर बीए के लिए मद्रास गए।
  • पुणे साइंस कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
  • सरकारी नौकरियों में कार्य करते हुए, बाढ़, सिंचाई, पानी आपूर्ति प्रोजेक्ट्स, पुल, बांधों के डिज़ाइन एवं निर्माण में बड़ा योगदान दिया।
  • मैसूर राज्य के दीवान (1912-1918) रहते हुए औद्योगीकरण, शिक्षा एवं तकनीकी नवाचार को बढ़ावा दिया।

प्रमुख उपलब्धियाँ

उपलब्धिविवरण
ऑटोमैटिक फ्लडगेट्सपुणे के खडकवासला डैम के लिए स्वचालित फ्लडगेट डिज़ाइन और पेटेंट कराए।
कृष्णा राजा सागर बांधकावेरी नदी पर एशिया का सबसे बड़ा बांध निर्माण किया।
बंगलौर इंजीनियरिंग कॉलेजइसकी स्थापना की, जो आगे चलकर विश्वेश्वरैया टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी बना।
मैसूर आयरन एंड स्टील वर्क्सभारत में पहली आयरन व स्टील फैक्ट्री की स्थापना की।
भारत रत्न सम्मान1955 में देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
ब्रिटिश नाइटहुड1915 में ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम द्वारा सम्मानित।

सर एमवी को आधुनिक मैसूर का जनक और ‘कर्नाटक का भागीरथ’ कहा गया।

राष्ट्रीय इंजीनियर्स दिवस की सामाजिक और राष्ट्रीय महत्ता

  • इंजीनियर अपने नवाचार व तकनीकी समाधान से समाज में बदलाव लाते हैं।
  • अभियंता दिवस युवाओं को विज्ञान, गणित और टेक्नोलॉजी में करियर बनाने के लिए प्रेरित करता है।
  • इस दिन पूरे देश में विभिन्न संस्थानों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में सेमिनार, प्रतियोगिताएँ, कार्यशालाएँ और जनजागरण कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
  • राष्ट्रीय विकास, जीवन स्तर सुधार, स्मार्ट सिटी, हरित ऊर्जा, जल संरक्षण जैसे अभियानों में इंजीनियरों की भूमिका निर्णायक रही है।

क्यों मनाया जाता है अभियंता दिवस? (महत्व)

  • सर एमवी को श्रद्धांजलि अर्पित करने, उनके योगदान को याद करने के लिए।
  • सभी इंजीनियरों को सम्मान देने के लिए, जो राष्ट्र निर्माण में योगदान देते हैं।
  • युवाओं को रचनात्मक सोच, समस्या सुलझाने, टीम वर्क एवं नेतृत्व की प्रेरणा देना।
  • सरकार, उद्योग, शिक्षा क्षेत्र, नवाचार व अनुसंधान के मेल को बढ़ावा देना।

अभियंता दिवस कैसे मनाते हैं?

  • स्कूल, कॉलेज और संस्थानों में सेमिनार, तकनीकी प्रतियोगिताएँ, मॉडल, पोस्टर, एक्जीबिशन।
  • विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक भाषण, चर्चाएं एवं अवार्ड समारोह।
  • इंजीनियरिंग के महत्व व सर एमवी की उपलब्धियों पर चर्चा।
  • सरकारी संस्थानों में तकनीकी मेले, एक्सपो व वर्कशॉप।
  • नई तकनीकों, जैसे AI, डीप-टेक, क्वांटम कंप्यूटिंग आदि पर फोकस।

FAQs

Q1: राष्ट्रीय इंजीनियर्स दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर: प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को मनाया जाता है।

Q2: 15 सितंबर को ही अभियंता दिवस क्यों?
उत्तर: यह सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती है।

Q3: सर एम. विश्वेश्वरैया कौन थे?
उत्तर: भारत के महान सिविल इंजीनियर, जिन्होंने बांध, सिंचाई, औद्योगिक विकास के क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान दिया।

Q4: अभियंता दिवस का महत्व क्या है?
उत्तर: यह दिवस इंजीनियरों के योगदान को सम्मानित करता है और युवाओं को प्रेरित करता है कि वे इंजीनियरिंग को करियर बनाएं।

Q5: विश्वेश्वरैया की महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ क्या थीं?
उत्तर: कृष्णा राजा सागर बांध, खडकवासला बांध, बंगलौर इंजीनियरिंग कॉलेज, मैसूर आयरन एंड स्टील वर्क्स, दीवान की भूमिका आदि।

Q6: सर एमवी को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?
उत्तर:
भारत रत्न (1955) और ब्रिटिश नाइटहुड (1915)।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय इंजीनियर्स दिवस 2025 एक अवसर है देशभर में उन अभियंताओं का सम्मान करने का, जिन्होंने भारत को आगे बढ़ाने में, आधुनिक बनाने में और समाज को नया दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस वर्ष की थीम ‘Deep Tech & Engineering Excellence: Driving India’s Techade’ है जो भविष्य की तकनीकों में उत्कृष्टता प्राप्त कर भारत को विश्व में अग्रणी बनाने का संदेश देती है। यह दिन सर एम. विश्वेश्वरैया की प्रेरणा को और इंजीनियरिंग समुदाय की उपलब्धियों को समर्पित है।

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