राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस हर वर्ष 11 मई को भारत की वैज्ञानिक, तकनीकी और सामरिक उपलब्धियों की स्मृति में मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पोखरण परमाणु परीक्षणों (ऑपरेशन शक्ति) की ऐतिहासिक सफलता का प्रतीक है, जिसने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।

इतिहास और महत्व

11 मई 1998 को भारत ने राजस्थान के पोखरण में तीन सफल परमाणु परीक्षण किए, जिन्हें ‘ऑपरेशन शक्ति’ नाम दिया गया। इसके दो दिन बाद, 13 मई को दो और परीक्षण किए गए। इस ऐतिहासिक घटना ने भारत को विश्व के उन गिने-चुने देशों की सूची में ला खड़ा किया जो परमाणु हथियार रखने की क्षमता रखते हैं।

इस महत्त्वपूर्ण दिन को मान्यता देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में घोषित किया।

11 मई 1998 को घटित प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियाँ

  • पोखरण परमाणु परीक्षण (ऑपरेशन शक्ति)
  • हंसा-3: स्वदेशी हल्के विमान की पहली उड़ान
  • त्रिशूल मिसाइल: अल्प दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण

इन उपलब्धियों के कारण यह दिन भारत की वैज्ञानिक शक्ति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया।

उद्देश्य और महत्व

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह उन वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और शोधकर्ताओं को सम्मानित करने का दिन है जिन्होंने भारत को तकनीकी रूप से सक्षम राष्ट्र बनाने में योगदान दिया।

  • इसके प्रमुख उद्देश्य हैं:
    • ऑपरेशन शक्ति की स्मृति: भारत की सामरिक क्षमता में ऐतिहासिक उन्नति
    • वैज्ञानिक उत्कृष्टता का सम्मान: वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों की भूमिका को रेखांकित करना
    • स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा: भारत निर्मित तकनीकों और उपकरणों की सराहना
    • युवाओं को प्रेरणा देना: भावी पीढ़ियों को विज्ञान और तकनीक के प्रति आकर्षित करना

ऑपरेशन शक्ति: भारत की सामरिक क्षमता का प्रदर्शन

11 और 13 मई 1998 को पोखरण में किए गए पांच परमाणु परीक्षणों ने भारत की रणनीतिक शक्ति को वैश्विक मंच पर स्थापित किया। इन परीक्षणों में एक थर्मोन्यूक्लियर और चार फिशन उपकरण शामिल थे। परीक्षणों को अत्यंत गोपनीयता के साथ अंजाम दिया गया ताकि अंतरराष्ट्रीय निगरानी से बचा जा सके।

  • प्रमुख वैज्ञानिक
    • डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम – उस समय प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और DRDO प्रमुख
    • डॉ. आर. चिदंबरम – परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष

इन वैज्ञानिकों ने भारतीय सेना के सहयोग से ऑपरेशन को सफलता तक पहुँचाया।

प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियाँ

  • हंसा-3: नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरी द्वारा विकसित एक हल्का प्रशिक्षण विमान
  • त्रिशूल मिसाइल: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा निर्मित अल्प दूरी की मिसाइल, जो भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम का हिस्सा थी

वैश्विक प्रभाव और रणनीतिक नीतियाँ

हालाँकि इन परीक्षणों के बाद भारत को अमेरिका और जापान जैसे देशों की ओर से प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा, फिर भी भारत ने अपनी ‘नो फर्स्ट यूज़’ (पहले प्रयोग नहीं) नीति के साथ शांति और जिम्मेदार परमाणु शक्ति का संदेश दिया। इसने भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को और मज़बूत किया।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस भारत की वैज्ञानिक हिम्मत, नवाचार और रणनीतिक दृष्टिकोण का प्रतीक है। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि भारत कठिन परिस्थितियों में भी आत्मनिर्भरता और तकनीकी श्रेष्ठता हासिल कर सकता है। 2025 का राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस न केवल हमारे गौरवशाली अतीत का उत्सव है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नए क्षितिज खोजने की प्रेरणा भी है।

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