विश्व एथलेटिक्स दिवस (World Athletics Day) हर साल 7 मई  को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य युवाओं में खेलों, विशेषकर एथलेटिक्स (Athletics) के प्रति रुचि को बढ़ाना और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है और इसकी शुरुआत अंतरराष्ट्रीय एमेच्योर एथलेटिक्स महासंघ (IAAF) द्वारा की गई थी, जिसे अब वर्ल्ड एथलेटिक्स (World Athletics) के नाम से जाना जाता है। 

विश्व एथलेटिक्स का इतिहास

विश्व एथलेटिक्स की स्थापना की प्रक्रिया 18 जुलाई 1912 को स्वीडन के स्टॉकहोम में 1912 ओलंपिक के बाद शुरू हुई थी। इस बैठक में 17 देशों के 27 प्रतिनिधियों ने अगले वर्ष बर्लिन में एक औपचारिक कांग्रेस आयोजित करने का निर्णय लिया, जिसकी अध्यक्षता सिगफ्रीड एडस्ट्रॉम ने की। 1913 में IAAF (इंटरनेशनल एमेच्योर एथलेटिक्स फेडरेशन) का गठन हुआ, जो आगे चलकर विश्व एथलेटिक्स के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

मुख्यालय और खेलों का विस्तार

संस्थान का मुख्यालय 1912 से 1946 तक स्टॉकहोम, 1946 से 1993 तक लंदन और फिर मोनाको स्थानांतरित हो गया। 1926 में IAAF ने हैंडबॉल और बास्केटबॉल जैसे बॉल गेम्स को विनियमित करने की पहल की, जिससे 1928 में हैंडबॉल और 1932 में बास्केटबॉल की अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं बनीं।

प्रोफेशनल युग और नाम परिवर्तन

1982 में एथलीटों को मुआवज़ा देने की अनुमति दी गई, लेकिन 2001 तक “एमेच्योर” शब्द नाम में रहा। इसके बाद संस्था का नाम इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन्स रखा गया। 2019 में इसे ‘विश्व एथलेटिक्स’ नाम से रीब्रांड किया गया।

वित्तीय पारदर्शिता और संकट प्रबंधन

2020 में विश्व एथलेटिक्स ने पहली बार अपनी वित्तीय रिपोर्ट सार्वजनिक की, जिसमें बताया गया कि ओलंपिक चक्र में 200 मिलियन डॉलर का राजस्व आया, जबकि गैर-ओलंपिक वर्षों में घाटा हुआ। संगठन की डेंटसू नामक जापानी एजेंसी पर भारी निर्भरता थी। 2018 तक इसका 45 मिलियन डॉलर का रिज़र्व इसे महामारी में भी स्थिर बनाए रखने में सहायक रहा।

वैश्विक प्रतिबंध और तटस्थता

2022 में यूक्रेन युद्ध के चलते रूस और बेलारूस के एथलीटों और अधिकारियों पर सभी आयोजनों से प्रतिबंध लगाया गया। वहीं 2024 में गाज़ा युद्ध के दौरान इज़राइली एथलीटों पर प्रतिबंध की मांग को संस्था ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह राजनीतिक रूप से तटस्थ रहना चाहती है। रूस और बेलारूस पर प्रतिबंध अभी भी लागू है।

विश्व एथलेटिक्स दिवस

हर साल 7 मई को विश्व एथलेटिक्स दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य युवाओं को ट्रैक और फील्ड खेलों के प्रति जागरूक और प्रेरित करना है।

उद्देश्य (Objectives)

विश्व एथलेटिक्स दिवस के आयोजन के पीछे कई उद्देश्य होते हैं, जैसे:

  • युवाओं में एथलेटिक्स के प्रति जागरूकता फैलाना
  • स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों को खेलों से जोड़ना
  • स्वास्थ्य और फिटनेस के प्रति रुचि बढ़ाना
  • भविष्य के खिलाड़ियों को पहचानना और प्रोत्साहित करना
  • “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क” की भावना को बढ़ावा देना

एथलेटिक्स क्या है?

एथलेटिक्स एक प्रकार का खेल वर्ग है जिसमें दौड़, कूद, थ्रो (फेंकना) आदि जैसे इवेंट्स शामिल होते हैं। ये व्यक्तिगत खेल होते हैं और ओलंपिक खेलों का महत्वपूर्ण हिस्सा भी हैं।

  • प्रमुख एथलेटिक्स इवेंट्स:
    • 100 मीटर, 200 मीटर, 400 मीटर दौड़
    • लंबी दूरी की दौड़ (1500 मीटर, 5000 मीटर, मैराथन)
    • लंबी कूद, ऊंची कूद
    • भाला फेंक, गोला फेंक
    • रिले दौड़ (4×100 मीटर, 4×400 मीटर)
    • बाधा दौड़ (हर्डल्स)

वर्ल्ड एथलेटिक्स (World Athletics) के बारे में

  • पूर्व नाम: IAAF (International Amateur Athletic Federation)
  • स्थापना: 1912
  • मुख्यालय: मोनाको

वर्ल्ड एथलेटिक्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एथलेटिक्स इवेंट्स का आयोजन करता है जैसे:

  • वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप
  • डायमंड लीग
  • वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप
  • ओलंपिक एथलेटिक्स प्रतियोगिताएं

इस दिन का महत्व (Importance)

  • बच्चों और युवाओं को खेलों से जोड़ता है
  • जीवन में अनुशासन, मेहनत और धैर्य सिखाता है
  • स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है
  • भारत जैसे विकासशील देश में स्पोर्ट्स कल्चर को बढ़ावा देता है
  • भविष्य के ओलंपिक प्रतिभागियों की पहचान करने में मदद करता है

भारत में एथलेटिक्स की स्थिति

भारत में एथलेटिक्स धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहा है। कुछ प्रमुख भारतीय एथलीट्स जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का नाम रोशन किया है:

  • नीरज चोपड़ा – ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट (भाला फेंक)
  • हिमा दास – भारत की ‘ढिंग एक्सप्रेस’, 400 मीटर स्प्रिंटर
  • अविनाश साबले – स्टीपलचेज़ में भारत का प्रतिनिधित्व
  • टी. पी. उषा – ट्रैक क्वीन

निष्कर्ष

विश्व एथलेटिक्स दिवस सिर्फ एक खेल दिवस नहीं है, बल्कि यह एक स्वस्थ जीवनशैली और युवा सशक्तिकरण का प्रतीक है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि खेल सिर्फ जीतने के लिए नहीं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक हैं।

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