हर साल 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस (World Hemophilia Day) मनाया जाता है। यह दिन उन लोगों के समर्थन और जागरूकता के लिए समर्पित है जो हीमोफीलिया और अन्य रक्तस्राव संबंधी विकारों से पीड़ित हैं। इस दिवस का उद्देश्य आम जनता को इस दुर्लभ रोग के बारे में जानकारी देना, रोगियों के जीवन की गुणवत्ता सुधारना और उपचार के लिए वैश्विक प्रयासों को एकजुट करना है।

विश्व हीमोफीलिया दिवस का इतिहास

विश्व हीमोफीलिया दिवस की शुरुआत 1989 में World Federation of Hemophilia (WFH) द्वारा की गई थी। यह दिन WFH के संस्थापक फ्रैंक श्नाबेल (Frank Schnabel) के जन्मदिन के रूप में चुना गया। WFH एक वैश्विक संस्था है जो हीमोफीलिया और अन्य रक्त संबंधी विकारों के प्रति जागरूकता फैलाने और उपचार उपलब्ध कराने में मदद करती है।

हीमोफीलिया क्या है?

हीमोफीलिया एक अनुवांशिक रक्त विकार है जिसमें व्यक्ति के रक्त का थक्का (clot) बनने की क्षमता कम हो जाती है या नहीं बनती। इसका मतलब है कि चोट लगने पर खून बहुत देर तक बहता है और रुकने में समय लगता है। यह रोग मुख्य रूप से पुरुषों में पाया जाता है और महिलाएं इस बीमारी की वाहक (carrier) होती हैं।

  • हीमोफीलिया दो प्रकार का होता है:
    • हीमोफीलिया ए (Hemophilia A): इसमें “क्लॉटिंग फैक्टर VIII” की कमी होती है।
    • हीमोफीलिया बी (Hemophilia B): इसमें “क्लॉटिंग फैक्टर IX” की कमी होती है।
  • लक्षण
    • सामान्य से अधिक समय तक खून बहना
    • बार-बार नकसीर आना
    • जोड़ों में सूजन, दर्द और रक्तस्राव
    • मामूली चोटों पर भी अधिक खून बहना
    • मांसपेशियों में रक्त जमाव
  • कारण
    • हीमोफीलिया एक आनुवंशिक (genetic) विकार है जो माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर होता है। यह एक्स-गुणसूत्र (X-chromosome) से संबंधित होता है। यदि माँ वाहक है और बेटा प्रभावित होता है, तो उसे हीमोफीलिया हो सकता है।
  • उपचार

वर्तमान में हीमोफीलिया का स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसका प्रबंधन (management) संभव है:

  • फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी (Factor Replacement Therapy)
  • इंजेक्शन द्वारा क्लॉटिंग फैक्टर देना
  • दर्द और सूजन के लिए दवाइयाँ
  • फिजियोथेरेपी (विशेषकर जोड़ों में रक्तस्राव के बाद)
  • संक्रमण से बचाव के लिए स्वच्छता

इस दिन का महत्व

हीमोफीलिया और अन्य रक्तस्रावी रोगों के बारे में जागरूकता फैलाना

मरीजों और उनके परिवारों को सहयोग देना

चिकित्सा सुविधाओं और इलाज को बेहतर बनाने के प्रयास करना

सरकारों और स्वास्थ्य संस्थाओं का ध्यान आकर्षित करना

विश्व हीमोफीलिया दिवस 2025 की थीम

विश्व हीमोफीलिया महासंघ (WFH) ने इस वर्ष की थीम “सभी के लिए पहुंच: महिलाएं और लड़कियां भी रक्तस्राव से ग्रसित होती हैं” निर्धारित की है। यह संदेश न केवल सशक्त है, बल्कि हमारे समाज की एक अत्यंत गंभीर और उपेक्षित सच्चाई को भी उजागर करता है।

आज भी रक्तस्राव विकारों से पीड़ित महिलाएं और लड़कियां (Women and Girls with Bleeding Disorders – WGBDs) अपर्याप्त रूप से पहचानी जाती हैं और उन्हें उचित इलाज नहीं मिल पाता। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर वैश्विक समुदाय को एकजुट होकर कार्य करना आवश्यक है।

WFH का यह संदेश इस बात की ओर स्पष्ट इशारा करता है कि मान्यता, सही निदान, समुचित उपचार और देखभाल के माध्यम से न केवल इन महिलाओं और लड़कियों का जीवन बेहतर बनाया जा सकता है, बल्कि पूरे रक्तस्राव विकार समुदाय को भी मजबूत किया जा सकता है।

भारत में स्थिति

भारत में अनुमानतः 1.2 लाख से अधिक हीमोफीलिया रोगी हैं, लेकिन इनमें से बहुत कम लोग पंजीकृत हैं। भारत में Hemophilia Federation India (HFI) जैसी संस्थाएं इस दिशा में कार्य कर रही हैं जो मरीजों को सहायता, जागरूकता और मुफ्त इलाज मुहैया कराने में प्रयासरत हैं।

  • जागरूकता कैसे बढ़ाएं?
    • स्कूलों, कॉलेजों में जागरूकता अभियान
    • सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करना
    • रक्तदान शिविरों का आयोजन
    • चिकित्सा शिविरों का आयोजन
    • मरीजों की कहानियाँ साझा कर समाज को प्रेरित करना

निष्कर्ष

हीमोफीलिया एक गंभीर लेकिन प्रबंधनीय रोग है। विश्व हीमोफीलिया दिवस हमें यह अवसर देता है कि हम इस रोग के बारे में जागरूक हों, इसके प्रति समाज को संवेदनशील बनाएं और रोगियों को बेहतर जीवन जीने में सहायता करें। यह केवल एक दिन नहीं, बल्कि एक ऐसा आंदोलन है जो जीवन को सुरक्षित और सम्मानजनक बनाने की दिशा में आगे बढ़ता है।

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