विश्व जूनोसिस दिवस 2025, हर वर्ष 6 जुलाई को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले रोगों (जूनोटिक रोगों) के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह दिन मानव, पशु और पर्यावरण के बीच के आपसी संबंध को समझने और इन रोगों को रोकने के लिए वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करता है।

विश्व जूनोसिस दिवस क्या है?

विश्व जूनोसिस दिवस की शुरुआत उस दिन की स्मृति में की गई जब लुई पास्चर ने 6 जुलाई 1885 को पहली बार रेबीज का टीका मानव को सफलतापूर्वक दिया था। यह टीकाकरण न केवल चिकित्सा क्षेत्र की ऐतिहासिक उपलब्धि थी, बल्कि इससे जूनोटिक रोगों की रोकथाम की दिशा में भी क्रांति आई।

जूनोटिक रोगों में रेबीज, कोविड-19, स्वाइन फ्लू, एवियन फ्लू, ब्रूसेलोसिस, एंथ्रेक्स आदि शामिल हैं, जो लाखों लोगों को प्रतिवर्ष प्रभावित करते हैं।

विश्व जूनोसिस दिवस 2025 की थीम

“एक स्वास्थ्य, एक भविष्य: मिलकर जूनोटिक प्रकोपों को रोकें”

यह थीम वन हेल्थ अप्रोच को दर्शाती है, जिसमें मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को एकजुट कर बीमारी की रोकथाम पर बल दिया जाता है।

विश्व जूनोसिस दिवस का इतिहास

6 जुलाई 1885 को लुई पास्चर द्वारा पहली बार रेबीज का टीका एक बच्चे को दिया गया था। यह विज्ञान और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ। इसी दिन को समर्पित कर विश्व भर में पशु जन्य रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से इस दिन को मनाया जाने लगा।

इस दिन का महत्व

  1. जन जागरूकता फैलाना: लोगों को यह समझाना कि कैसे पशुओं से बीमारियाँ मनुष्यों में आ सकती हैं और क्या सावधानी बरतनी चाहिए।
  2. वन हेल्थ दृष्टिकोण को बढ़ावा देना: स्वास्थ्य सेवा, पशु चिकित्सा और पर्यावरण क्षेत्र के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।
  3. निगरानी प्रणाली को मजबूत बनाना: रोगों की समय पर पहचान और रोकथाम के लिए प्रणाली विकसित करना।
  4. टीकाकरण और रोकथाम को प्रोत्साहित करना: पशुओं के नियमित टीकाकरण और साफ-सफाई के उपायों को बढ़ावा देना।

जूनोटिक रोगों के उदाहरण

रोग का नामफैलने का स्रोतमानव पर प्रभाव
रेबीजकुत्ते, चमगादड़मस्तिष्क पर असर, मृत्यु
ब्रूसेलोसिसगाय, बकरी, कच्चा दूधबुखार, जोड़ों में दर्द
लेप्टोस्पायरोसिसगंदा पानी, जानवरों की मूत्रलीवर, किडनी डैमेज
एंथ्रेक्समवेशी, मिट्टीत्वचा घाव, सांस की परेशानी
बर्ड फ्लूमुर्गियाँ, पक्षीतेज बुखार, फेफड़ों पर असर

प्रभाव और गतिविधियाँ

  • सरकारी योजनाएँ: इस दिन सरकारें पशु टीकाकरण योजनाएँ और स्वास्थ्य कार्यक्रम लॉन्च करती हैं।
  • शैक्षणिक कार्यक्रम: स्कूलों और कॉलेजों में व्याख्यान, पोस्टर प्रतियोगिताएँ आयोजित होती हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर: किसानों और पशुपालकों को रोगों के लक्षण और रोकथाम के बारे में जानकारी दी जाती है।
  • वैश्विक सहयोग: WHO, FAO और OIE जैसे संगठन मिलकर जागरूकता फैलाते हैं।

प्रेरणादायक उद्धरण

  • “मनुष्य, पशु और प्रकृति—तीनों का स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़ा है।”
    – विश्व स्वास्थ्य संगठन
  • “जूनोटिक रोगों को जड़ से खत्म करना अगली महामारी की रोकथाम की कुंजी है।”
    – डॉ. मारिया वैन केरखोव, WHO
  • “टीका लगाएं, जागरूकता बढ़ाएं, रोगों को दूर भगाएं।”
  • “वायरस सीमाएँ नहीं जानते, लेकिन हमारी तैयारी को सीमित नहीं होना चाहिए।”

कैसे मनाएं विश्व जूनोसिस दिवस 2025?

  • ऑनलाइन वेबिनार या वर्कशॉप में भाग लें।
  • पशु चिकित्सा और स्वच्छता का पालन करें।
  • समुदाय में लोगों को जागरूक करें।
  • पशु पालकों और किसानों को सही जानकारी दें।
  • स्वयं भी शिक्षा प्राप्त करें और दूसरों को सिखाएं।

निष्कर्ष

विश्व जूनोसिस दिवस 2025 केवल एक तारीख नहीं, बल्कि मानवता के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक आंदोलन है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि यदि हम पशुओं और पर्यावरण की देखभाल करेंगे, तो हम स्वयं को भी कई बीमारियों से सुरक्षित रख पाएंगे। सामूहिक प्रयास, शिक्षण और वैज्ञानिक सहयोग से हम ज़ूनोटिक रोगों के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

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