यूपीएससी एक सिविल सेवा अधिकारी से क्या अपेक्षा करती है……..
दोस्तों, आज के इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि यूपीएससी आखिर एक सिविल सेवक से क्या अपेक्षा रखती है, एक सिविल सेवक को कैसा होना चाहिए तथा एक अच्छे सिविल सेवक की पहचान क्या है? वे कौन से गुण हैं जो एक मनुष्य को सिविल सेवक बनने के योग्य बनाते हैं l आज के इस लेख में हम इन सब विषयों पर चर्चा करेंगे l
सिविल सेवा क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई?
सिविल सेवक के बारे में चर्चा करने से पहले हम सिविल सेवा क्या है? इस बारे में जानने का प्रयास करेंगे l सर्वप्रथम भारत में गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स ने ब्रिटिश शासन के दौरान सिविल सेवा की शुरुआत की थी लेकिन भारत में सिविल सेवा के वर्तमान संरचना की शुरुआत लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा की गयी l जिस वजह से लॉर्ड कॉर्नवालिस को भारत में सिविल सेवा का जन्मदाता माना जाता है l वहीं हम बात सिविल सेवा के प्रतियोगी परीक्षा के रूप में विकास की करें तो 1857 में मैकाले समिति द्वारा दी गयी सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए सिविल सेवकों के चयन के लिए सिविल सेवा प्रतियोगी परीक्षा की शुरुआत की गयी थी l साथ ही हम यह भी जानते चलें कि भारतीय सिविल सेवा में शामिल होने वाले पहले भारतीय सत्येंद्र नाथ टैगोर थे l
अगर हम स्वतंत्रता उपरांत सिविल सेवा की बात करें तो संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) एक संवैधानिक संस्था है जिसका उल्लेख संविधान के भाग 14 में अनुच्छेद सं. 315 से 323 तक किया गया है जहाँ संघ तथा अलग अलग राज्यों के लिए लोक सेवाओं के संस्था के बारे में उल्लेख मिलता है l UPSC भारत में विभिन्न प्रकार के सिविल सेवाओं के लिए परीक्षा आयोजित करने तथा उनका सुचारु रूप से कार्यान्वयन करने के लिए उत्तरदायी होती है l
हमारे देश के लौह पुरुष कहे जाने वाले प्रतिभाशाली व्यक्तित्व “सरदार वल्लभभाई पटेल” जिनका योगदान देश की आजादी के समय एकता और अखंडता को बनाये रखने में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, ने 21 अप्रैल 1947 को ऑल इंडिया सर्विस के प्रशिक्षु अधिकारियों के लोक सेवा सत्र को दिल्ली के मेटकॉफ हाउस में संबोधित करते हुए सिविल सेवकों को “स्टील फ्रेम ऑफ़ इंडिया” के नाम से पुकारा इसी वजह से भारत सरकार ने 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के रूप में घोषित किया तथा 21 अप्रैल 2006 से ही हम इस तिथि को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिविल सेवकों को उनके कार्य के प्रोत्साहन के लिए सम्मानित करते हैं l
एक अच्छे सिविल सेवक की पहचान
जब हम बात सिविल सेवक की करते हैं तो एक अच्छे सिविल सेवक की पहचान उसके मूल व्यक्तित्व से होती है l सिविल सेवक सरकार और जनता के बीच उस कड़ी के रूप में है जो दोनों में सामंजस्य स्थापित करते हुए लोककल्याणकारी योजनाओं से आम जन को लाभान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है l सिविल सेवक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह आम जन की समस्याओं के मूल को समझते हुए उनके समाधानों पर विचार करे तथा उनको तत्परता से लागू करे l
यह बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है कि यदि हम UPSC की परीक्षा उत्तीर्ण कर लेते हैं तो हम एक अच्छे सिविल सेवक ही हैं l यदि हमारे अंदर एक सिविल सेवक वाले सारे गुण मौजूद हैं या हम उन्हें विकसित कर सकें तो सही मायने में हम एक अच्छे सिविल सेवा अभ्यर्थी कहलाने लायक होंगे तथा भविष्य में ये गुण ही एक व्यक्ति को अच्छे सिविल सेवक बनकर उभरने में कामयाबी दिलाएगी l एक अच्छे सिविल सेवक के अंदर कुछ महत्वपूर्ण गुण होने ही चाहिए जिसकी अपेक्षा UPSC एक सिविल सेवा अभ्यर्थी से करती है l
सिविल सेवक में कौन-से गुण होने चाहिए?
नेतृत्व करने की क्षमता एक सिविल सेवक के महत्वपूर्ण गुणों में से एक है l एक सिविल सेवक जिसके अंदर टीम के सदस्यों को साथ लेकर चलने का गुण हो या हम सरल शब्दों में कहें तो सिविल सेवक को एक अच्छा लीडर भी होना चाहिए l वहीं हम सिविल सेवक के अगले गुणों की बात करें तो जिसके अंदर सत्यनिष्ठा, जवाबदेही तथा निर्णय लेने की क्षमता होने के साथ-साथ अच्छा संचार कौशल और प्रभावी व्यक्तित्व का होना भी उनके जरुरी गुणों में से एक है l ये सारे गुण हैं जो एक सिविल सेवक के अंदर होने ही चाहिए क्योंकि बिना सत्यनिष्ठा का पालन करते हुए कोई भी कार्य जनकल्याण के लिए करना मुश्किल प्रतीत होता है वहीं अपने कार्य के प्रति जवाबदेह होना, आत्मविश्वास को बढ़ाने में मददगार होता है जिसकी मदद से हम किसी भी कार्य को निपुणता के साथ पूरा करते हैं l संचार कौशल और निर्णय लेने की क्षमता सिविल सेवकों के दिनचर्या का ही भाग होता है जहाँ उन्हें पग-पग पर कठोर निर्णय लेने की स्थिति पैदा हो जाती है, उस स्थिति में सही निर्णय लेने की क्षमता और उसे संचार कौशल की मदद से समस्या का निष्पादन करना ही सिविल सेवक का धर्म है l “एक अच्छा सिविल सेवक ज्ञान से पूर्ण होने के साथ-साथ सहिष्णु, धैर्यवान, दयालु प्रवृति का, समस्त जीवधारियों के प्रति संवेदनशील, पिछड़े वर्गों के स्थिति के उत्थान के लिए प्रयत्नशील तथा हमेशा ही खुद से पहले देश की सेवा के बारे में सोचने वाला होता है” l सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन हो या लोक कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाना हो, ये सारे कार्य एक सिविल सेवक की कार्य परिधि के अंतर्गत आते हैं जिनका निर्वाहन वो अपनी दायित्व सीमा में रहते हुए करते हैं l
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एक आदर्श सिविल सेवक के अंदर निम्न गुण होने चाहिए-
- नेतृत्व की क्षमता
- संचार कौशल
- सत्यनिष्ठा
- जवाबदेही
- निर्णय करने की क्षमता
- ईमानदारी
- पारदर्शीता
- दायित्व के प्रति निष्ठावान
- दयालु और
- दृढ निश्चयी …..
अंतिम शब्द
इसी प्रकार के कई और भी गुण हैं जो एक सिविल सेवक में होने ही चाहिए l ये गुण सिविल सेवक के व्यक्तित्व को निखारते हैं तथा उन्हें तरक्की की नयी सीढ़ियों पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं l सिविल सेवक का व्यक्तित्व समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का विषय है इसीलिए एक सिविल सेवक के रूप में हमेशा ही हमें अपने दायित्वों का निर्वाहन सत्यनिष्ठा, ईमानदारी तथा पारदर्शिता के साथ करना चाहिए l आज के लेख में इतना ही, मिलते हैं किसी नए लेख में किसी नए विषय पर चर्चा के साथ….
!!..जय हिन्द जय भारत..!!
नोट- ये विचार लेखक के स्वयं के हैं l आप अपने विचार कमेंट में रखने के लिए स्वतंत्र हैं l